रूसी कंपनी से क्लिंटन फाउंडेशन को मिले ‘चंदे’ को लेकर छपी एक रिपोर्ट के बाद 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दावेदार हिलेरी क्लिंटन को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.


एक अखबार में अमेरिका के कुल यूरेनियम उत्पादन के पांचवें हिस्से के उत्पादन के लिए रूसी नियंत्रण वाली कंपनी से समझौता पर क्लिंटन फाउंडेशन को ‘धन मिलने’ की रिपोर्ट प्रकाशित की गई है. न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समझौते के बाद 23.5 लाख अमेरिकी डॉलर की रकम मिलने का फाउंडेशन ने खुलासा नहीं किया. जबकि विदेश मंत्री बनने के लिए हिलेरी के सामने ओबामा प्रशासन ने शर्त रखी थी कि फाउंडेशन को सभी दानकर्ताओं की जानकारी देनी होगी. रिकार्ड के अनुसार, 2009 से 2013 के बीच तीन बार फाउंडेशन को धनराशि प्रदान की गई.


अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा खनन उद्योग से जुड़े लोग क्लिंटन परिवार के सहायतार्थ कार्यक्रमों के लिए चंदा देने में प्रमुख रहे हैं. इन्हीं लोगों ने कंपनी का निर्माण, वित्त पोषण किया और फिर रूसी कंपनी को बेच दिया, जिसका नाम यूरेनियम वन रखा गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2013 में रूसी परमाणु ऊर्जा एजेंसी रोसाटॉम ने कंपनी का अधिग्रहण कर लिया.

रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि यूरेनियम को रणनीतिक संपत्ति माना जाता है, इससे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला जुड़ा होता है, इसलिए समझौते के लिए अमेरिकी सरकार की कई एजेंसियों की एक कमेटी की स्वीकृति लेनी चाहिए थी. विदेश विभाग ने यह समझौता किया, जिसकी मुखिया हिलेरी थीं.इस बीच हिलेरी के चुनाव अभियान के प्रवक्ता ने कहा कि किसी ने यह सबूत नहीं दिया कि हिलेरी ने विदेश मंत्री रहते क्लिंटन ने फाउंडïेशन के दानकर्ताओं के हितों का समर्थन किया. उनका कहना था कि अमेरिकी सरकार की कई एजेंसियों और कनाडा सरकार ने यह समझौता किया. ऐसे मामले विदेश मंत्री स्तर से नीचे के अधिकारी देखते हैं.

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Posted By: Molly Seth