ताज महल को मंदिर बताने के 5 तर्क पर ASI का जवाब जो इसे बताता है मकबरा
ताज महल को मंदिर मानते हैं
पुरुषोत्तम नागेश ओक नाम के एक इतिहासकार की पुस्तक ताजमहल: सत्य कथा को आधार बना कर कुछ लोगों ने दावा किया कि यह एक शिव मंदिर है जिसे राजपूत राजा मान सिंह ने मुगल बादशाह को उपहार में दिया था। इसी आधार पर अप्रैल 2015 में आगरा जिला अदालत में छह वकीलों ने एक याचिका दाखिल की थी और कहा कि ताजमहल तेजो महालय नाम का शिव मंदिर था। इस याचिका में उन्होंने परिसर के अंदर पूजा की इजाजत देने की मांग भी की थी। जिस पर कोर्ट ने केंद्र सरकार, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय, गृह सचिव और एएसआई से जवाब मांगा था। इसी के चलते आर्कियॉलजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने कहा है कि ये एक मकबरा ही है। वो 6 हीरो जिन्होंने राम रहीम को पहुंचाया सलाखों के पीछे पांच तर्क ताज के मंदिर होने के1- 'ताज' और 'महल' दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं और किसी भी मुस्लिम इमारत के नाम के साथ कभी महल शब्द प्रयोग नहीं हुआ है।
2- मंदिर के गुंबद पर हिंदू परंपरा के अनुसार कलश है और सीढ़ियाँ के नीचे जूते उतारने की परम्परा मन्दिरों में प्रवेश पर होती है जब कि किसी मक़बरे में जाने के लिये जूता उतारना अनिवार्य नहीं होता।
3- संगमरमर की जाली में 108 कलश चित्रित हैं तथा उसके ऊपर 108 कलश आरूढ़ हैं, हिंदू मन्दिर परम्परा में भी 108 की संख्या को पवित्र माना जाता है। वहीं मकबरे का र्निमाण भी वैदिक तरीके से हुआ है।
4- ताजमहल शिव मन्दिर को इंगित करने वाले शब्द 'तेजोमहालय' शब्द का अपभ्रंश है। तेजोमहालय मन्दिर में अग्रेश्वर महादेव प्रतिष्ठित थे। साथ ही ताज के दक्षिण में एक पुरानी पशुशाला है, जो तेजोमहालय की गौशाला हो सकती है। मुस्लिम कब्र में गौशाला होना एक असंगत बात है।5- वहीं ताज के पश्चिमी छोर में लाल पत्थरों के अनेक उपभवन हैं जो किसी कब्र में होना अनावश्यक है। इसी तरह संपूर्ण ताज परिसर में 400 से 500 कमरे तथा दीवारें हैं। जहां कब्र हो वहां इतने सारे रिहाइशी कमरों का होना समझ से बाहर की बात है।सुषमा ने पिलाया पानी तो पुतिन ने चीनी राष्ट्रपति की पत्नी को पहनाया था कोट ASI का जवाबहालाकि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने नवंबर 2015 के दौरान लोकसभा में कहा था कि ताजमहल की जगह पर मंदिर होने के कोई सबूत नहीं मिले हैं। फिर भी कोर्ट में याचिका आने और जवाब मांगे जाने के चलते ASI ने अपने तर्क दिए हैं। उसने कोर्ट में कहा है कि ताजमहल एक इस्लामिक ढांचा है, जबकि अपील करने वाले दूसरे धर्म के हैं। साथ ही एएसआई ने साक्ष्यों के साथ ये भी स्पष्ट किया है इस स्मारक पर किसी भी संप्रदाय की कोई धार्मिक गतिविधि पहले कभी नहीं हुई थी। उन्होंने अपने लिखित उत्तर में कहा है कि ताजमहल मंदिर नहीं बल्कि मुमताज महल की याद में बनवाया गया मकबरा ही है।
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