हनुमान जी को क्यों कहते हैं पवनपुत्र, उनके जन्म से जुड़ी है यह कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, केसरी राज के साथ विवाह करने के बाद कई वर्षों तक माता अंजना को पुत्र सुख की प्राप्ति नहीं हुई। वह मंतग मुनि के पास जाकर पुत्र प्राप्ति का मार्ग पूछने लगीं| ऋषि ने बताया की वृषभाचल पर्वत पर भगवान वेंकटेश्वर की पूजा अर्चना और तपस्या करो। फिर गंगा तट पर स्नान करके वायु देव को प्रसन्न करो। तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी।
अंजना ने वायु देव से मांगा था पुत्र का वरदानमुनि के बताये मार्ग के अनुसार पुत्र की कामना में अंजना ने सभी तप पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और धैर्य से किये। वह वायु देव को प्रसन्न करने में सफल रहीं। वायु देव ने उन्हें दर्शन देकर आशीष दिया कि उनका ही रूप उनके पुत्र के रूप में अवतरित होगा।इस तरह मां अंजना ने हनुमान के रूप में महाशक्तिशाली पुत्र को जन्म दिया। इसी कारण हनुमान को पवनपुत्र, केसरीनंदन आदि नामों से जाना जाता है।
— ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीपति त्रिपाठी जानें क्या है पंचमुखी हनुमान का महत्व, संकटमोचन ने क्यों लिया था यह अवतारहनुमान जी का कवच मंत्र डर से दिलाता है मुक्ति, श्रीराम ने भी किया था इसका जाप