नवरात्र में क्यों होती है कन्या पूजा, जानें किस दिन रहेगा शुभ मुहूर्त
4 अप्रैल को होगी कन्या पूजा4 अप्रैल मंगलवार को श्री दुर्गा अष्टमी व्रत, महा अष्टमी, कंजक पूजन एवं अशोक अष्टमी प्रात: 11 बजकर 21 मिनट तक है। इसके बाद श्री राम नवमी, श्री दुर्गा नवमी, महानवमी, श्री राम जन्म महोत्सव (श्री राम अवतार जयंती), श्री राम जन्मभूमि परिक्रमा-दर्शन (अयोध्या जी), साईं बाबा जी का उत्सव (शिरडी, महाराष्ट्र), मेला बाहू फोर्ट-जम्मू, मेला माता श्री कांगड़ा देवी जी, श्री अन्नपूर्णा पूजन श्री राम नवमीं व्रत होंगे।क्यों और कैसे किया जाता है कन्या पूजन?नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन का बड़ा महत्व है। नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं।किस दिन करें कन्या पूजन
वैसे तो कई लोग सप्तमी से कन्या पूजन शुरू कर देते हैं लेकिन जो लोग पूरे नौ दिन का व्रत करते हैं वह तिथि के अनुसार नवमी और दशमी को कन्या पूजन करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलते हैं। शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन के लिए दुर्गाष्टमी के दिन को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और शुभ माना गया है।कन्या पूजन की विधि
- कन्या भोज और पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दिया जाता है।- मुख्य कन्या पूजन के दिन इधर-उधर से कन्याओं को पकड़ के लाना सही नहीं होता है।- गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं।- अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए।- उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए।- फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं।- भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर आशीष लें।Spiritual News inextlive from Spirituality Desk