हिजाब छोड़ा तो कम मुसलमान होंगे?
मुस्लिम महिलाएं हिजाब क्यों पहनती हैं और इसे पहनना छोड़ने पर उन्हें किस तरह के हालात का सामना करना होता है.बीबीसी की पत्रकार शाइमा ख़लील ने दस साल हिजाब पहनने के बाद इसे न पहनने का फ़ैसला लिया.लेकिन अब एक बार फिर उन्हें हिजाब पहनना होगा.पढ़ें शाइमा का तजुर्बामुस्लिम देशों में हिजाब महिलाओं का ऐसा पहनावा है जो प्रतीकात्मक ज़्यादा है. मैंने अपना हिजाब उतार दिया था लेकिन पाकिस्तान संवाददाता बनने के बाद एक बार फिर मुझे इसे पहनना होगा.
और फिर पिछले साल मैंने ख़ुद को और अपने धर्म को लेकर स्वयं से कई व्यक्तिगत सवाल किए. यह कि मैं क्या आस्था से कर रही हूँ और क्या आदत से?मुझे अपने धर्म का कितना प्रदर्शन करना चाहिए? अगर मैं हिजाब छोड़ दूं तो क्या मैं कम मुसलमान हो जाउंगी?
और अंतिम जबाव था नहीं. मैंने हिजाब न पहनने का फ़ैसला किया. मुझे तैयार होने में घंटों लगते हैं. मैंने अंत में हिजाब पहनने के वक़्त हिजाब नहीं पहना.दस सालों में पहली बार मैंने ये सोचा कि मेरे बाल कैसे लग रहे हैं?बिना हिजाब के घर से बाहर निकलना मुश्किल था. मुझे अपनी दहलीज़ लांघने में तीस मिनट लगे. मैं बार-बार शीशा देखकर सोच रही थी कि क्या मैं हिजाब न पहनने के लिए आश्वस्त हूँ.
विडंबना देखिए, हिजाब छोड़ने की हिम्मत करने के बाद अब फिर से मुझे हिजाब पहनना होगा, कम से कम कुछ समय के लिए.अच्छी बात ये है कि मैंने अपने पुराने हिजाब फेंके नहीं थे.