अक्‍सर जब लोग बिस्‍तर से बाहर या फिर घर से बाहर निकलते हैं तो ठंड की वजह से कांपने से लगते हैं। लगता है कि जैसे शरीर में जनरेटर सा चलने लगता है। हालांकि आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्‍यों होता है। शायद नहीं तो आइए पढ़ें यह खबर और जानें क्‍यों ठंड लगते ही छूटने लगती हैं कंपकंपी...


सिग्नल भेजने का कामजी हां आपने अक्सर देखा होगा और महसूस भी किया होगा। जब भी सर्दियों में जरा सी ठंड लगती है तो शरीर कंपने सा लगता है। पूरे शरीर में एक तरह की झनझनाहट सी होने लगती है। कई बार तो ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने कोई जनरेटर सा चला दिया हो। जिसकी वजह हाथ-पैर सब हिलने से लगते हैं। हालांकि यह शरीर में झनझनाहट होने की वजह शरीर पर स्किन से लगे सेंसिंग ऑर्गन होते हैं। यही वे सेंसिंग ऑर्गन जो शरीर से दिमाग को सिग्नल भेजने का काम करते हैं। जिससे शरीर का जो तापमान होता है वह दिमाग में पहुंच जाता है। अब आप सोच रहें होगे कि ये सिग्नल ठंड का तापमान किस लिमिट से किस लिमिट तक मैनेज करते हैं। जिससे साफ है कि सिग्नल के मुताबिक बॉडी टेम्प्रेचर 98.6°F से करीब 36.9°सेल्सियस होना चाहिए।
गंजापन कभी नहीं आए, जब ये नौ योगासन आजमाएतापमान कम होता जाता


ऐसे में जैसे-जैसे ठंड ज्यादा होती है और तापमान कम होता जाता है वैसे ही दिमाग को तेजी से सिग्नल मिलते जाते हैं। जिससे कि समय रहते शरीर की मसल्स को सही किया जा सके वरना गिरने का भी खतरा होने लगता है। यह मैसेज मिलते ही दिमाग एक्टिव हो जाता है। जिसकी वजह से शरीर में झनझनाहट और हिलने की वजह से थोड़ी गरमी पैदा होती है। उस गरमी की वजह से शरीर का बैलेंस बनने लगता है। इस कंपकपांने की वजह से शरीर को काफी हद तक आराम मिलता है। सबसे खास बात तो यह है कि इससे शरीर अलग से किसी भी चीज से गर्म करने की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में शायद अब आपको शरीर के अंदर वाले जनरेटर का राज पता चल गया होगा।शरीर के इन अंगो को छूआ तो समझो आई शामतनाक का सवाल नाक के आकार खोलते हैं आपके ये राज

 

Posted By: Shweta Mishra