अक्‍सर आप छत पर या सड़क पर जब अपनी गर्लफ्रेंड की बाहों में बाहें डाल कर बादलों से घिरे हुये चांद को निहारते हैं तो आप को क्‍या नजर आता है। कई बार चांद का रंग सफेद होता है। कभी वो सफेद से ग्रे हो जाता है। और कभी चांद का रंग हल्‍का गुलाबी हो जाता है। क्‍या आप ने कभी गुलाबी रंग के चांद को देखा है शायद नही देखा होगा। क्‍योकि चांद के रंग बदलने के पीछे बहुत से कारण होते हैं। हम आप को आज बताने जा रहे हैं क्‍यो कभी-कभी चांद का रंग ग्रे हो जाता है।


इन चीजों का होता है महत्वरात में हर घंटे पर आप को चांद का अलग रंग नजर आए गा। यह रंग साल में भी बदलता है और दिनो के अंतराल मे भी बदलता है। जब 1969 से लेकर 1972 के दौरान होने वाले अपोलो मून मिशन के फोटोग्राफ देखते हैं तो पाते हैं कि चांद की जमीन भी पृथ्वी की तरह ही है। जो कई तरह के रंगो से ढली हुई है। चांद पर कोई मौसम नही है। वहां पानी भी नही है और ना ही जिंदगी है। वहां ऐसा कुछ भी नहीं कि वहां पर जाया जाए फिर भी चांद की अपनी महत्वता है। चांद पर आप को मैग्नीशियम, आयरन, कैल्श्यिम, एल्यूमोनियम, ऑक्सीजन और सिलीकान के तत्व मिलेंगे। ये सभी चीजें है जो ग्रे कलर में कॉमन हैं। इस वजह से रंग होता है चेंज
सच यही है कि चांद के बाहुत सारे रंग होते हैं पर उसके पीछे कई कारण है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि आप चांद को रात में किस समय देख रहे हैं। आप विश्व के किस हिस्से से चांद को निहार रहे हैं। आप जहां से चांद को निहार रहे हैं वहां की हवा कितनी साफ है। ये सभी चीजें मायने रखती हैं जब आप चांद को देखते हैं। रात में 1 बजे चांद अमेरिका में किसी और रंग का होगा और भारत में किसी और रंग का। दोनों के पीछे अंतर है हवा, जगह और समय का। हम किसी गृह पर जो भी रंग देखते हैं उसके पीछे वहां पर होने वो तत्व पर पड़ने वाली रौशनी बहुत अहम होती है। रंग सूरज की रौशनी में निकल कर आते हैं।

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Posted By: Prabha Punj Mishra