ये सवाल तो हम सबके मन में कौंधता होगा कि आखिर हमारे कपड़े श्रिंक क्‍यों हो जाते हैं। मतलब एक ही बार धोने पर वो सिकुड़ क्‍यों जाते हैं। अरे नहीं अपने नए ट्राउजर के एक ही बार धोने पर उसके छोटे होने को आप अपना मोटा होना मत समझिए। अब ये ट्राउजर आपको इसलिए टाइट हो रहा है क्‍योंकि ये धोने के बाद सिकुड़ गया है। तो आखिर क्‍या होता है ऐसा कि धोने पर हमारे कुछ कपड़े सिकुड़ जाते हैं। क्‍या पानी में कोई जादू होता है। नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है। न पानी में जादू होता है और न आप मोटे हो गए हैं। ये सब होता है कपड़ों के नेचर की वजह से। कैसे आइए बताएं।


दो तरह के होते हैं कपड़े
दरअसल ऐसा होता है कपड़ों के खास तरह के फाइबर के कारण। यहां सबसे पहले आपका ये जानना जरूरी होगा कि अमूमन कपड़ों का फाइबर दो तरह का होता है। पहला सिंथैटिक और दूसरा ऑर्गेनिक। सिंथेटिक फाइबर, ऑर्गेनिक फाइबर से बिल्कुल अलग होता है। सिंथेटिक फाइबर इंसानों के बनाए पॉलिमर का होता है। इनमें पॉलिस्टर, रेयान जैसे कपड़े आते हैं। इन कपड़ों का फाइबर पेट्रोलियम बेस्ड कैमिकल का बना होता है। ऐसे में ये सिंथेटक फाइबर धोने पर श्रिंक नहीं होते। इसका एक कारण ये भी है वॉशिंग मशीन इन पेट्रोलियम बेस्ड फाइबर्स के लिए गर्म नहीं होती। इस वजह से इसके मॉल्यूकुलर स्ट्रकचर पर कोई फर्क नहीं पड़ता। इसके अलावा इनके न सिकुड़ने का एक और कारण ये भी होता है कि इनका फाइबर नैचुरली एकदम सीधा-सीधा होता है। ये अपने आप ही बुनने के लिए तैयार होता है। इसको बुनने लायक बनाना नहीं पड़ता। ऐसे में धोने के बाद भी इसका फैब्रिक अपने प्राकृतिक रूप में सीधा ही बना रहता है। वो सिकुड़ता नहीं। फेल्टिंग


कपड़े सिकुड़ने का ये तरीका ऊनी कपड़ों पर लागू होता है। दरअसल ऊनी कपड़ों के धागे काफी सॉफ्ट होते हैं। इनके आपस में उलझने का डर रहता है। ये डर वास्तविक रूप में सामने आ जाता है तब जब ऊनी कपड़ों को वॉशिंग मशीन में डालते हैं। मशीन में पानी में बार-बार घूमन से उसके रेशे ऊपर-नीचे होकर आपस में उलझ जाते हैं। इस वजह से ये अपने बीच का स्पेस खो देते हैं और सिकुड़ जाते हैं। सिर्फ यही नहीं, उसके बाद ये उतने मुलायम भी नहीं रह जाते, जितने इनको धोने से पहले होते हैं। कपड़ों का सिकुड़ना उनके फाइबर पर भी निर्भर करता हैरिसर्चर ऐसा मानते हैं कि अलग-अलग फाइबर्स पर श्रिंकेज का अलग असर पड़ता है। जैसे कॉटन का इस्तेमाल दो अलग-अलग तरह के कपड़ों को बनाने में किया जाता है। एक डेनिम और दूसरा गिंघम। इनमें से डेनिम के कपड़ों के तारों को काफी सख्ती के साथ बुना जाता है। ये इतनी सख्ती के साथ बुने जाते हैं कि इनके बीच सिकुडने की जगह ही नहीं होती। वहीं गिंघम फैब्रिक की बुनाई में उनके रेशों के बीच काफी जगह होती है। इनको सिकुड़ने के लिए पूरी-पूरी जगह मिल जाती है। Interesting Newsinextlive fromInteresting News Desk

Posted By: Ruchi D Sharma