उत्तरी वज़ीरिस्तान और दक्षिणी वज़ीरिस्तान के बीच स्थित पहाड़ी इलाक़ों में किसी अज्ञात स्थान पर टीटीपी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान अपना नया नेता चुनने के लिए बैठक कर रही है.


इस बार बैठक का समय और स्थान पूरी तरह गुप्त रखा जा रहा है क्योंकि यह इलाक़ा जितना तालिबान लड़ाकों के लिए जाना जाता है उतना ही अमरीकी चालक-रहित ड्रोन विमानों के हमलों के लिए.पिछले तीन दिनों से टीटीपी के नेता मीरानशाह शहर की किसी अज्ञात इमारत में और इस इलाक़े की कई अन्य जगहों पर अमरीकी हमले में मारे गए अपने नेता हकीमुल्लाह महसूद को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं.हकीमुल्लाह के मारे जाने पर पाकिस्तान सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि इस घटना के अगले दिन से ही टीटीपी के साथ उनकी शांति-वार्ता शुरू होने वाली थी.पाकिस्तान के गृहमंत्री चौधरी निसार अली ख़ान ने कहा कि इस ड्रोन हमले ने पाकिस्तान में शांति बहाली की सभी संभावनाओं की "हत्या" कर दी है.पाकिस्तान पर दोष


तालिबान और उनके कट्टरपंथी समर्थक इस घटना के लिए पाकिस्तान को दोष दे रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान ने हकीमुल्लाह के सिर पर चार लाख सत्तर हज़ार डॉलर यानी लगभग दो करोड़ नब्बे लाख रुपए का इनाम रखा था. इन लोगों का मानना है कि हकीमुल्लाह के मारे जाने में पाकिस्तान और अमरीका की मिलीभगत थी.

अफ़ग़ानिस्तान की कुछ मोबाइल फ़ोन कंपनियाँ पाकिस्तान के फ़ेडरल एडमिनस्ट्रड ट्राइबल एरिया (फ़ाटा) में कई टेलीफ़ोन सुविधा प्रदान कराती हैं.इस इलाक़े में सक्रिय लड़ाके इन सुविधाओं का काफ़ी प्रयोग करते हैं. लेकिन उनके साथ भी यही समस्या है कि अफ़ग़ानिस्तानी ख़ुफ़िया संस्था उनकी बातचीत पर नज़र रख सकती है.कोई चरमपंथी संगठन किस देश की संचार सेवा का प्रयोग करेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सा समूह किस देश से समर्थन की उम्मीद कर सकता है.एक दूसरी समस्या क़बीलों की अपनी राजनीति है जिसके कारण नेता चुनना एक बहुत ही कठिन काम हो जाता है.टीटीपी के संस्थापक बैतुल्लाह महसूद वर्ष 2009 में एक ड्रोन हमले में मारे गए थे. लेकिन उनकी मौत के बाद नए नेता का चुनाव बड़ी आसानी से हो गया था.योग्य उत्तराधिकारीपिछले कुछ महीनों से फ़ाटा इलाक़े के बाहर भी दोनों समूहों में वर्चस्व की जंग चल रही थी ख़ासकर पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर और देश के आर्थिक केंद्र कराची में.आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि वलीउर रहमान के समर्थक इस ज़ोरआज़माइश में भारी पड़ रहे थे.

लेकिन मई में एक ड्रोन हमले में वलीउर रहमान की मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकारी ख़ान सईद सजना को समूह का नेता चुन लिया गया था. सजना टीटीपी के नए नेता बनने के वो एक प्रमुख दावेदार है.लेकिन हकीमुल्लाह महसूद के समर्थकों से उन्हें कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है.महसूद क़बीले के अंदर की टकराहटों से अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार नया नेता महसूद क़बीले से बाहर का हो सकता है.स्वात के कमांडर मुल्ला फ़ज़लुल्लाह, मोहमंद क़बीले के कमांडर उमर ख़ालिद या ओरकज़ई क़बीले के कमांडर हाफ़िज़ सईद इस पद के अन्य प्रमुख दावेदार हैं.लेकिन वज़ीरिस्तान की अंदुरुनी क़बीलाई राजनीति और इस्लामी चरमपंथियों के लिए एक पनाहगाह की हैसियत से इस जगह के महत्व को समझने वालों का मानना है कि ग़ैर-स्थानीय कमांडर शायद ही महसूद क़बीले के लड़ाकों का सम्मान पा सके. टीटीपी में महसूद क़बीले के लड़ाकों की भारी संख्या है.पाकिस्तानी सरकार के लिए मौजूदा स्थिति हर हालत में फ़ायदा की बात होगी.अगर महसूद क़बीले से बाहर का कोई व्यक्ति अगर टीटीपी का नेता चुना जाता है तो इससे टीटीपी में फूट पड़ सकती है जिसके कारण पाकिस्तानी ख़ुफ़िया अधिकारियों को टीटीपी में अपनी पकड़ बनाने का मौक़ा मिल सकता है.
लेकिन अगर महसूद क़बीले के किसी कमांडर को टीटीपी का नेता चुना जाता है तो बहुत संभव है कि वो पाकिस्तान के संग शांती-वार्ता बहाल करने के समर्थक धड़े से हो.शांति-वार्ता का विरोधउत्तरी वज़ीरिस्तान के ज़्यादातर टीटीपी कमांडर पाकिस्तान के साथ किसी तरह की शांति-वार्ता के ख़िलाफ़ हैं.हकीमुल्लाह को पाकिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य के प्रति सख़्त माना जाता था. वो मानते थे कि पाकिस्तान की राजनीति का चरित्र "धर्मनिरपेक्ष" है और इसीलिए उसे ख़त्म कर देना चाहिए.इसके विपरीत वलीउर रहमान का नज़रिया इस मुद्दे पर नरम था और ऐसा माना जाता है कि उनके उत्तराधिकारी भी उन्हीं के रुख़ का अनुसरण करेंगे.विश्लेषकों का मानना है कि अगर ख़ान सईद सजना टीटीपी के नेता चुने जाते हैं तो वो भी कुछ दिनों बाद पाकिस्तान से शांति-वार्ता को शुरू करने के लिए तैयार हो जाएंगे.लेकिन इन सबके बीच एक बात साफ़ है कि पाकिस्तान ने हकीमुल्लाह पर हुए हमले से ख़ुद को पूरी तरह से अलग कर लिया है.पाकिस्तान शायद ऐसा इसलिए कर रहा है ताकि पाकिस्तान के रूढ़िवादियों के बीच फैली इस राय को दबाया जा सके कि पाकिस्तान ने शांति-वार्ता के लिए हकीमुल्लाह को बुलाकर उन्हें फंसा दिया. क्योंकि बात चीत की संभावना के बीच हकीमुल्लाह ने अपनी सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरत ली थी.
बहुत से लोग मानते हैं कि टीटीपी के पूर्व प्रमुख बैतुल्लाह महसूद पर अमरीका ने पाकिस्तानी अधिकारियों के बार-बार शिकायत करने के बाद ही हमला किया था.उस समय पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना था कि उनके द्वारा बार-बार बैतुल्लाह के ठिकाने की सटीक सूचना दिए जाने के बाद भी अमरीकी उन पर हमला करने से बच रहे हैं.

Posted By: Subhesh Sharma