उम्र कोई भी हो अब तो हर किसी का जन्‍मदिन मनाना आज के यूथ की परंपरा बन गई है। फिर चाहें वो उनके दादा दादी हों या दोस्‍त। बर्थ डे का जश्‍न तो बनता ही है। बर्थ डे के दिन रात 12 बजे से ही शुरू हो जाता है सेलिब्रेशन। परिवार के सभी लोग या दोस्‍त मिलकर रात 12 बजे का सरप्राइज प्‍लान करते हैं। सब मिलकर बर्थडे पर्सन को सबसे पहले बधाई देते हैं। उसके बाद अगर और ज्‍यादा प्‍लानिंग की है तो केक काटना तो बनता है। वैसे देखा जाए तो सेलिब्रेशन चाहें दिन का हो या रात का जब तक बर्थ डे केक न कटे तो भला सेलिब्रेशन कैसा। किसी भी बर्थडे पार्टी का सेंटर ऑफ अट्रैक्‍शन होता है बर्थ डे केक और उसपर सजी मोमबत्‍तियां। वो बात और है कि पुराने समय के लोग भारतीय संस्‍कृति के अनुसार जन्‍मदिन के मौके पर मोमबत्‍तियां बुझाने को बुरा शगुन मानते थे। अब तो ये मॉर्डन ट्रेडीशन बन चुका है। अब क्‍या आप ये जानना नहीं चाहेंगे कि जन्‍मदिन पर मोमबत्‍तियां बुझाने की परंपरा किसने शुरू की। आइए बताते हैं...।


यहां से हुई शुरुआत बताते हैं कि बर्थ डे केक पर मोमबत्तियां लगाने और बुझाने की परंपरा प्राचीन ग्रीस (यूनान) से आई है। इस परंपरा की शुरुआत उस समय हुई थी जब ग्रीस के लोग केक पर जलती हुई मोमबत्तियां लेकर अपने भगवान के पास जाते थे। भगवान के पास पहुंचकर ये लोग मोमबत्तियों से ग्रीक भगवान का चिह्न बनाते थे। चिह्न को बनाने के बाद इन मोमबत्तियों को बुझा दिया जाता था। यूनानी लोग मोमबत्तियों के धुएं को शुभ मानते हैं। इन लोगों का मानना है कि मोमबत्तियों का उड़ता धुआं सीधे भगवान के पास जाता है।  इसे भी मानते हैं शुरुआत
वहीं कुछ तथ्य ऐसा भी बताते हैं कि केक पर मोमबत्तियां लगाने की परंपरा जर्मनी की देन है। बताते हैं कि 1746 में पहली बार केक के ऊपर कैंडल लगाई गई। ये मौका था धार्मिक और सामाजिक सुधारक निकोलर जिंजोनडार्फ के बर्थडे का। इस दिन बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होकर सामने आए और केक के ऊपर मोमबत्तियां जलाकर इनके बर्थडे को त्योहार की तरह मनाया। ये कहती है भारतीय संस्कृति


वहीं कुछ लोग ये भी कहते हैं जर्मनी की इस परंपरा के शुरू होने के पीछे कारण कुछ और ही था। ये परंपरा जर्मनी के प्रसिद्ध त्योहार किंडफेस्ट के दौरान सामने आई। वहीं अब बात करें कि ये परंपरा भारत कैसे आई। इसपर अनुमान लगाया जाता है कि शर्तिया ये पश्िचम भारत की देन है। वैसे भारतीय संस्कृति पर गौर करें तो किसी भी खुशी के मौके पर मोमबत्तियों को बुझाने को शुभ नहीं माना जाता। इसकी जगह पर सरसों के तेल के दिये को प्रज्वलित किया जाता है।Interesting Newsinextlive fromInteresting News Desk

Posted By: Ruchi D Sharma