अक्‍सर इंसानों को मदर टंग यानी कि मातृ भाषा के लिए परेशान होते देखा होगा। किसी को उर्दू नहीं आती तो किसी अंग्रेजी तो किसी को हिंदी व तमिल नहीं आती। जिससे उन्‍हें दूसरी जगह पर परेशानी होती है लेकिन क्‍या कभी किसी जानवर के बारे में ऐसा सुना है। शायद नहीं लेकिन उदयपुर के जू में मौजूद एक सफेद बाघ इन दिनों भाषा की समस्‍या से जूझ रहा है। आइए जानें कैसे...


समझने में परेशानी जी हां हाल ही में चेन्नई के अरिग्नर अन्ना जूलॉजिकल पार्क से उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में जानवरों की अदला बदली हुई है। जिसमें उदयपुर से दो भेड़ियों को चेन्नई और चेन्नई से एक सफेद भाग राम को उदयपुर भेजा गया था। इस दौरान भेड़िये तो वहां पर आसानी से एडजस्ट हो गए हैं लेकिन बाघ को उदयपुर में काफी प्रॉब्लम हो रही है। जी हां बाघ को सिर्फ तमिल भाषा समझ आती है। 2011 में अन्ना जूलॉजिकल पार्क में जन्में राम की परवरिश यहीं पर होने से वह सिर्फ तमिल भाषा को ही समझता है। उसकी देखरेख करने वाले भी तमिल भाषा बोलते रहे हैं। केयरटेकर की जरूरत
जिससे अब राम को उदयपुर की हिंदी और स्थानीय भाषा मेवाड़ी बिल्कुल नहीं समझ आ रही है। वह क्या कहना चाहता है और कर्मचारी उससे क्या कह रहे हैं। कुछ नही समझ आता है। ऐसे में पार्क के कर्मचारी काफी परेशान हैं कि आखिर ऐसा क्या करें कि बाघ को उनकी भाषा समझ आ जाए। इस समस्या के संबंध में वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इतनी जल्दी यहां पर किसी कर्मचारी को तमिल नहीं सिखाई जा सकती है। इसमें थोड़ा समय लगेगा। जिससे अभी चेन्नई के चिड़िया घर प्रबंधन से वहां से एक केयरटेकर को भेजने की बात हो रही है। वह कुछ दिन यहां रहकर बाघ देखभाल करे।

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Posted By: Shweta Mishra