जब इंग्लैंड में सौरव गांगुली को मार दी जाती गोली, ऐसे बचाई थी जान
46 साल के 'दादा' सौरव गांगुलीकानपुर। टीम इंडिया के दादा कहे जाने वाले पूर्व खिलाड़ी सौरव गांगुली आज अपना 46वां जन्मदिन मना रहे हैं। 8 जुलाई 1972 को कोलकाता में जन्में सौरव ने 20 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय डेब्यू कर लिया था। गांगुली की बल्लेबाजी की खासियत थी कि वह ऑफ साइड पर आसानी से शॉट लगा देते थे। उनकी इस हुनर से प्रभावित होकर एक बार उनके साथी खिलाड़ी राहुल द्रविड़ ने कहा था, 'अगर ऑफ साइड का कोई भगवान होता, तो उन्हें गांगुली कहा जाता।' स्पिनरों के खिलाफ गांगुली काफी अच्छा खेला करते थे। खासतौर से आगे बढ़कर वो जब छक्क लगाते तो गेंद स्टेडियम के पार ही पहुंचती थी। वैसे क्रिकेट से इतर बात करें तो गांगुली के जीवन में एक ऐसी घटना घटी जिसे वह जिंदगीभर नहीं भूलेंगे।
इंग्लैंड में एक लड़के ने तान दी थी बंदूक
साल 1996 की बात है, भारतीय टीम इंग्लैंड दौरे पर गई थी। तीन मैचों की टेस्ट सीरीज का दूसरा मैच लंदन में खेला गया। वैसे तो यह मैच ड्रा रहा था मगर सौरव गांगुली के लिए यादगार बन गया। यह दादा का डेब्यू टेस्ट था और पहले ही मैच में उन्होंने शतक लगाकर इतिहास रच दिया। हफिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मैच खत्म होते ही गांगुली अपने साथी खिलाड़ी नवजोत सिंह सिद्धू के साथ इंग्लैंड घूमने निकल पड़े। ये दोनों भारतीय खिलाड़ी एक अंडरग्राउंड ट्रेन में बैठकर कहीं जा रहे थे। अभी आधे रास्ते ही पहुंचे थे कि गांगुली के सामने वाली सीट पर दो लड़के और तीन लड़कियां बैठकर शराब पी रहे थे। दादा ने इस घटना का जिक्र Beefy's Cricket Tales किताब में किया है। गांगुली आगे लिखते हैं कि, 'शराब पी रहे टीनएजर्स ने हमारे साथी बदतमीजी की। उनमें से एक लड़के ने हमारे ऊपर बियर केन फेंका। उसे लगा कि मैं कुछ रिएक्ट करूंगा लेकिन मैंने उस बियर केन को उठाया और किनारे रख दिया। मैं किसी भी विवाद में नहीं पड़ना चाहता था। मैंने सिद्धू से कहा चलो इन्हें यहीं छोड़ दो हम दूसरे कंपार्टमेंट में चलते हैं। मेरा इतना कहना हुआ कि एक लड़का भड़क गया और कहने लगा कि 'मैंने अभी क्या बोला'?
क्रिकेट के मैदान पर दादागिरी के लिए मशहूर गांगुली उस दिन काफी डर गए थे। उन्होंने किताब में आगे लिखा, 'उन लड़कों के साथ हमारी बहस तेज हो गई थी और सिद्धू भी लड़ाई करने के लिए तैयार हो गए। तब मुझे लगा कि कुछ गड़बड़ होने वाली है। मैंने बिना कुछ सोचे-समझे अपना चश्मा उतारा और उन लड़कों को धक्का देकर जमीन पर गिरा दिया। ये लड़ाई बढ़ने ही वाली थी कि तब तक स्टेशन आ गया। मैं जल्दी से बाहर की तरफ भाग ही रहा था कि देखा कि एक लड़के ने मेरे ऊपर बंदूक तान दी। उस वक्त मुझे लगा कि आज इस ट्रेन में मेरी जिदंगी यहीं खत्म हो जाएगी।' खैर गांगुली को उस दिन लड़कों के साथ आई एक लड़की का शुक्रिया अदा करना चाहिए जिसने उनकी जान बचाई। गांगुली लिखते हैं, उस ग्रुप में एक मोटी लड़की थी जिसने हाथ में बंदूक लिए लड़के को तेजी से अपनी ओर खींचा और उसे ट्रेन से उतारक ले गई।' इस घटना के बाद सौरव गांगुली कभी भी इंग्लैंड में पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर नहीं करते।अच्छा तो इसलिए क्रिकेट के 'दादा' कहलाते हैं सौरव गांगुली2003 वर्ल्डकप में गांगुली को थी धोनी की जरूरत, मगर वो प्लेटफॉर्म पर टिकट चेक कर रहे थे