राजीव गांधी की वजह से भारत ने की एशियन गेम्स की शानदार मेजबानी, पढें उनकी लाइफ के दिलचस्प किस्से
कानपुर। राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को बम्बई में हुआ था। जब भारत स्वतंत्र हुआ तब उनकी उम्र महज तीन साल थी। फिरोज गांधी और इंदिरा गांधी के दो बेटों में राजीव गांधी बड़े थे। वहीं संजय गांधी छोटे थे।
कुछ समय के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल गए
भारत सरकार की आधिकारिक वेबसाइट archivepmo.nic.in के मुताबिक राजीव गांधी कुछ समय के लिए देहरादून के वेल्हम स्कूल गए थे। इसके बाद हिमालय की तलहटी में स्थित आवासीय दून स्कूल में पढ़ने भेजे गए।
जल्द ही वे लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज चले गए
स्कूल के बाद राजीव गांधी कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज गए लेकिन जल्द ही वे लन्दन के इम्पीरियल कॉलेज चले गए। यहां से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। राजीव को राजनीति में करियर बनाने में शुरू से कोई रूचि नहीं थी।
हवाई उड़ान राजीव का सबसे बड़ा जुनून था
इसलिए राजीव गांधी के पास राजनीति की नहीं बल्कि विज्ञान एवं इंजीनियरिंग की कई पुस्तकें हुआ करती थीं। संगीत में रुचि होने के साथ ही फोटोग्राफी एवं रेडियो सुनने का भी शौक था। हवाई उड़ान उनका सबसे बड़ा जुनून था।
वाणिज्यिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया
इंग्लैंड से घर लौटने के बाद उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब की प्रवेश परीक्षा पास कर वाणिज्यिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त किया। इसके बाद राजीव गांधी जल्द ही घरेलू राष्ट्रीय जहाज कंपनी इंडियन एयरलाइंस के पायलट बन गए।
सोनिया गांधी अंग्रेजी की पढ़ाई कर रही थीं
राजीव और सोनिया गांधी की मुलाकात कैम्ब्रिज में हुई थी। उस समय सोनिया अंग्रेजी की पढ़ाई कर रही थीं। उन्होंने 1968 में नई दिल्ली में शादी कर ली। इसके बाद राजीव सोनिया के राहुल और प्रियंका के रूप में दो बच्चे हुए।
भाई की मौत के बाद राजनीति में आना पड़ा
राजनीति से दूर रहने वाले राजीव को 1980 में भाई संजय गांधी की मौत के बाद मजबूरन मां इंदिरा के सपोर्ट के लिए राजनीति में आना पड़ा। भाई की मृत्यु के कारण खाली हुए उत्तर प्रदेश के अमेठी संसद क्षेत्र का उपचुनाव जीता।
कार्य दक्षता से इस बड़े टास्क को पूरा किया
नवंबर 1982 में भारत में एशियाई खेलों के शानदार आयोजन के लिए स्टेडियम निर्माण व बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी राजीव को दी गई थी। उन्होंने कार्य दक्षता का परिचय देते हुए इस चुनौतीपूर्ण कार्य को पूरा किया।
संयम के साथ जिम्मेदारियों का बखूबी निभाया
राजीव गांधी 31 अक्टूबर 1984 को मां की हत्या के बाद कांग्रेस अध्यक्ष एवं देश के प्रधानमंत्री बने थे। इस दौरान देखा गया कि मां की मौत से दुखी राजीव ने संतुलन, मर्यादा एवं संयम के साथ जिम्मेदारियों का बखूबी निभाया था।
इक्कीसवीं सदी के भारत का निर्माण का सपना
राजीव का स्वभाव गंभीर था लेकिन वह आधुनिक सोच एवं निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता वाले इंसान थे। राजीव देश को दुनिया की उच्च तकनीकों से पूर्ण करना चाहते थे। इसके अलावा इक्कीसवीं सदी के भारत का निर्माण उनका सपना था।