शौचालय जो कहीं किचन बन गए तो कहीं किराने की दुकान
शौचालय में रसोईघर
ये है छतरपुर जिले के कोदान गांव में रहने वाले दिनेश यादव का शौचालय जो अब रसोईघर बन चुका है। परिवार के सदस्यों से पूछने पर उन्होंने बताया कि हां स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरपंच द्वारा उनके यहां शौचालय बनाया गया था परंतु उसके सेप्टिक टैंक में गड़बड़ थ्ज्ञी जो बताने बावजूद ठीक नहीं हुई। इसके बाद इस योजना का पैसा लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया और उसके बाद उन्होंने शौचालय को रसोईघर में बदल कर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इस बात को छह महीने बीत चुके हैं और परिवार बाहर खुले में ही शौच के लिए जाता है।
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ये है टॉयलेट में किराने की दुकान
ऐसा ही एक और उदाहरण है छतरपुर शहर के लक्ष्मण कुशवाहा के घर का। लक्ष्मण पेशे से मजदूर है। लक्ष्मण के परिवार के अनुसार शौचालय बनाया गया पर उसका सेप्टिक टैंक ठेकेदार द्वारा ठीक से नहीं बनाया गया था। जिस बारे में उन्होंने संबंधित अधिकारियों से शिकायत भी की, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। कुछ दिन प्रतीक्षा करने बाद उन्होंने जगह का सदुपयोग करने के लिए उसमें किराने की दुकान खोल ली।
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इस बारे में जब संबंधित अधिकारियों से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि उन्हें हाल ही में जानकारी प्राप्त हुई है। घटना की जांच की जा रही है और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की जायेगी। बतादें कि योजना के तहत इस साल अक्टूबर तक ग्रामीण इलाकों में 1.96 लाख शौचालय बनाने का लक्ष्य है लेकिन अब तक 55000 शौचालयों बनने की जानकारी मिली है जिनमें से कईयों का हाल बदहाल है और वो इस्तेमाल में नहीं आ रहे हैं। किसी में गेट टूटा है तो कहीं है ही नहीं और कहीं नल और पानी की सुविधा नहीं है। अब भी लोग खुले में ही शौच के लिए जाते हैं।
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