Ramadan 2020: आया रमजान का महीना, आइए जानें रोजा, तरावीह व जकात के बारे में
Ramzan 2020: रमजान का महीना इस्लामी कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना है। रमजान माह का मुस्लिम समुदाय में विशेष स्थान है। इस माह में पूरे विश्व के मुस्लिम बहुत ही पवित्रता के साथ उपवास रखते हैं। इस्लामी कैलेंडर के आठवें माह शाबान के आखिरी दिन चन्द्र दर्शन से रमजान का पाक माह शुरू होता है। रमजान का महीना कभी 29 तो कभी 30 दिन का होता है। विश्व भर के मुस्लिम इस पवित्र माह में उपवास रखते है। उपवास को अरबी भाषा में &सौम&य और फारसी भाषा में रोजा कहते हैं। भारत के मुस्लिम समुदाय पर फारसी भाषा का अधिक प्रभाव होने के कारण भारत में उपवास का फारसी शब्द रोजा ही प्रचलित है।
तरावीहरमज़ान का चांद दिखते ही पूरे माह एक विशेष रात्रि नमाज जिसे तरावीह कहते हैं, पढ़ी जाती है। अगले दिन सूर्योदय से पहले कुछ खाकर (सहरी) से रोजा शुरू होता है। रोजा रखकर पूरे दिन ना तो कुछ खाया जाता है और ना ही कुछ पिया जाता है। शाम को सूर्यास्त के समय मगरिब की अजान सुनकर लोग अपना रोजा खोलते हैं जिसे इफ़्तार कहा जाता है। घर की महिलाएं इफ्तार का खास अहतेमाम करती है और कई तरह के पकवान बनाती हैं।
विशेषताएंरमजान के महीने को नेकियों और इबादतों का महीना माना जाता है। हदीस में आया है कि अन्य दिनों के मुकाबले एक माह में एक नेकी के बदले 70 गुना अधिक सवाब (पुण्य) मिलता है। रमज़ान के महीने में लोग अपने एक माह तक रोजे रखते हुए अपने रब को राजी करने के लिए नमाज और तिलावत ए क़ुरान के साथ रमजान की विशेष रात्रि नमाज तरावीह पढ़ते हैं।
जकातरमजान में जकात (दान) देने का बहुत अधिक सवाब है। जकात में इंसान को अपनी जमा पूंजी का ढाई फीसदी गरीबों को देना होता है। रमजान माह के आखरी 10 दिनों की ताक रातों (21, 23, 25, 27, 29) में लोग रात भर इबादत (शब ए कद्र) करते हुए अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। साथ ही देश दुनिया में अमन चैन की दुआ करते हैं। घर मोहल्ले के कुछ लोग इन आखिरी रातों में एतेकाफ में बैठकर समाज व देश के कल्याण की दुआ करते हैं।जुमातुल विदा की नमाजरमजान माह के आखिरी शुक्रवार को जुमातुल विदा की नमाज पढ़ी जाती है। जुमातुल विदा का शाब्दिक अर्थ है छुटने या छोड़कर जाने वाला ज़ुमा का दिन। जुमातुल विदा के दिन मस्जिदों में दोपहर की विशेष नमाज अदा की जाती है।नेकियों का मौसम ए बहाररमजान को नेकियों का मौसम ए बहार कहा जाता है। इस महीने में मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हुए अपने परम पिता परमेश्वर (अल्लाह) को संतुष्ट करने की कोशिश करता है। यह महीना समाज के गरीबों और जरूरतमंदों के साथ हमदर्दी का महीना भी है, इस महीने में रोजेदार को इफ्तार करवाने वाले के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है। इस महीने में रोजादार को इफ्तार कराने वाले के गुनाह माफ हो जाते हैं।
&पैगम्बर मोहम्मद साहब से आपके किसी सहाबी (साथी) ने पूछा- अगर हममें से किसी के पास इतनी गुंजाइश न हो क्या करें। तो हज़रात मुहम्मद ने जवाब दिया कि एक खजूर या पानी से ही इफ्तार करा दिया जाए।& यह महीना मुस्ताहिक लोगों की मदद करने का महीना है। रमज़ान के ताल्लुक से हुए बेशुमार हदीस मिलती है। मोहम्मद साहब ने फरमाया है जो शख्स नमाज के रोजे ईमान और एहतेसाब (अपने जायजे के साथ) रखे उसके सब पिछले गुनाह माफ कर दिए जाएंगे। रोजा हमें जब्ते नफ्स (खुद पर काबू रखने) की तरबियत देता है। हममें परहेजगारी पैदा करता है। रमजान के महीने में जाकात, सदका, फित्रा, खैर खैरात गरीबों की मदद दोस्त अहबाब जो जरूरतमंद हो उसकी मदद करने को कहता है।
- सदफ सिद्दीकी (प्रधान अध्यापिका, हिम सिटी माण्टेसरी स्कूल, लखनऊ)