नवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। नवरात्र हिंदुओं का महापर्व है। नवरात्रि के नौ दिनो में नौ देवियों की उपासना की जाती है। देवी मां को जो भी सच्चे मन से याद करता है उसकी सभी मनोकामनायें पूरी होती हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार नवरात्रि में हर तिथि का अपना महत्व है। नौ दिन देवियों के अलग-अलग विशेष रूप की पूजा की जाती है। नवरात्र में हर दिन का अलग महत्व है। नवरात्रों में एक को शारदीय व दूसरे को वासंतिक नवरात्र कहा जाता है। गुजरात और पश्चिम बंगाल में विशेष पर्व के रूप में मनाई जाती है।


ब्रह्मचारिणीनवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ब्रह्मचारिणी देवी ब्रह्म शक्ति यानि तप की शक्ति का प्रतीक हैं। जो भी भक्त इनकी आराधना करता है उसके तप करने की शक्ति बढ़ जाती है। इनकी आराधना से सभी मनोवांछित कार्य पूरे होते हैं। ब्रह्मशक्ति यानी समझने और तप करने की शक्ति के लिए इस दिन शक्ति का स्मरण करें। योग शास्त्र में यह शक्ति स्वाधिष्ठान में स्थित होती है। इस दिन समस्त ध्यान स्वाधिष्ठान में करने से यह शक्ति बलवान होती है एवं सर्वत्र सिद्धि और विजय प्राप्त होती है।स्कंदमाता


धर्म शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है। यह भक्तों को सुख-शांति प्रदान करने वाली देवी हैं। देवासुर संग्राम सेनापति भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। हमें सैन्य संचालन की शक्ति मिलती रहे। इसलिए स्कंदमाता की पूजा-आराधना करनी चाहिए। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना चाहिए, जिससे कि ध्यान वृत्ति एकाग्र हो सके। यह शक्ति परम शांति और सुख का अनुभव कराती है।कालरात्रि

महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप है कालरात्रि। मां कालरात्रि काल का नाश करने वाली हैं। इसी वजह से इन्हें कालरात्रि कहा जाता है। नवरात्रि के सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र जो ललाट अर्थात सिर के मध्य स्थित करना चाहिए। इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र की शक्तियां जागृत हो जाती हैं। मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट हो जाता है। जीवन की हर समस्या को पलभर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती है।सिद्धिदात्री

नवरात्रि के अंतिम दिन यानि नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं। इस दिन भक्तों को पूजा के समय अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र जो कि हमारे कपाल के मध्य स्थित होता है, वहां पर लगाना चाहिए। ऐसा करने पर देवी की कृपा से इस चक्र से संबंधित शक्तियां स्वतः ही भक्त को प्राप्त हो जाती हैं। सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे सभी सुख-समृद्धि प्राप्त हो जाते हैं।

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Posted By: Prabha Punj Mishra