शरीर से मुक्ति नहीं है मोक्ष, साध्वी भगवती सरस्वती से जाने इसके असल मायने
मोक्ष (मुक्ति), प्राप्त करने की क्या आवश्यकता है? स्वदेश तिवारी, वाराणसी
मोक्ष का अर्थ है मुक्ति। लेकिन यह शरीर से मुक्ति नहीं है। आमतौर पर जब हम मुक्ति के बारे में बात करते हैं तो लोग सोचते हैं कि यह ऐसा कुछ है, जो मृत्यु के बाद होता है। यह सच नहीं है। असल मुक्ति शरीर से मुक्त होना नहीं, बल्कि उसके अंदर रहते हुए मुक्ति को प्राप्त होना है।शरीर में रहते हुए हम यह कैसे जान सकते हैं कि हमारा अस्तित्व सिर्फ हमारा शरीर, हमारा इतिहास, हमारे रिश्ते, हमारा बैंक खाता, हमारी त्वचा का रंग आदि नहीं है। जब हम अपने उस मस्तिष्क की अज्ञानता से मुक्ति, स्वतंत्रता प्राप्त करते हैं, जो हमें बताता है कि हमारा अस्तित्व छोटा, अस्थायी व दोषक्षम है, तब हमारे पास उस दिव्य सत्य को महसूस करने और उसे जानने का अवसर होता है।तभी हम जान पाते हैं कि हम वास्तव में कौन हैं। तब और केवल तब ही हमें क्रोध, ईष्र्या, प्रतिस्पर्धा, वासना, लालच, वैमनस्य आदि से आजादी मिल सकती है। वही स्वतंत्रता मोक्ष है। यह आजादी हमारे लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके बिना हम अपनी इच्छाओं, भय और अहं के गुलाम की तरह जीवन जीते हैं।
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