क्या है आसियान जिसके सदस्य देशों के लीडर बने हैं इस रिपब्लिक डे पर भारत के मेहमान
क्या है आसियान इसकी शुरुआत पांच देशों इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड ने एक साथ मिल कर 8 अगस्त 1967 में की थी। आसियान को दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का समूह भी कहा जा सकता है। इन पांच देशों द्वारा बने इस संगठन में बाद में और भी देश जुड़ते चले गये। ब्रुनेई, म्यांमार,कंबोडिया, लाओस, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम सहित अब इसमें 10 देश सदस्य हैं। यह संगठन इन देशों में आपस में अर्थव्यवस्था, राजनीति, सुरक्षा, संस्कृति और क्षेत्रीय मुद्दों से संबन्धित सामन्जस्य बनाये रखने में मदद करता है। 2.8 ट्रिलियन डॉलर है जीडीपी
आसियान का क्षेत्रफल विश्व का तीन फीसदी हिस्सा है यानी की 44 लाख स्क्वायर किमी। इसके सदस्य देशों में 63 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। इन देशों की संयुक्त जीडीपी 2.8 ट्रिलियन डॉलर है। 1967 से लेकर अब तक आसियान के 31 शिखर सम्मेलन हो चुके हैं। दुनिया के लगभग सभी शक्तिशाली देश आसियान में रुचि रखते हैं। मजबूत आर्थिक ताकत होने के चलते भारत समेत अमेरिका, चीन और जापान सभी का आसियान के साथ संबंधों पर जोर है। यह हैं गणतंत्र दिवस पर हमारे मेहमान
भारत के आसियान के सदस्य देशों के साथ संबंध लगभग 2000 साल पुराने हैं। इस साल भारत-आसियान संबंधों के 25 साल भी हो रहे हैं। ऐसे में इस बार गणतंत्र दिवस पर इन देशों के राजप्रमुखों की मौजूदगी इस नजरिए से भी खास है। आइए जानते हैं इस बार कौन हैं हमारे मेहमान- 1. कंबोडिया के पीएम हुन सेन इस बार कंबोडिया के पीएम हुन सेन भारत आए हैं। वह 1985 से वहां सत्ता में हैं। इससे पहले 1963 में कंबोडिया के राजा भारत आ चुके हैं। उस देश आज भी भारतीय संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। यहीं विश्व प्रसिद्ध अंकोर वाट मंदिर भी स्थित है।
म्यांमार की फर्स्ट काउंसलर आंग सान सू की की शिक्षा-दीक्षा भारत में ही हुई है। वह पहली बार भारत के गणतंत्र दिवस समारोह का हिस्सा बन रही हैं। भारत की एक्ट ईस्ट नीति के लिए म्यांमार बेहद अहम है। पीएम मोदी ने पिछले ही साल वहां का दौरा किया है। दोनों देशों के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक संबंध हैं।