ईरान से समझौते के बहुत क़रीब थे: कैरी
कैरी ने बीबीसी को बताया कि "जेनेवा में सप्ताहांत के मौक़े पर वे समझौते के बहुत क़रीब थे, लेकिन बाक़ी दुनिया को इस बात को लेकर सुनिश्चित होना था कि ईरान अपना परमाणु हथियार कार्यक्रम आगे नहीं बढ़ा रहा था."उन्होंने कहा कि "दोनों पक्षों के बीच तीन दिन तक चली बातचीत बिना किसी परिणाम के समाप्त हो गई, लेकिन इस मुद्दे पर राजनयिक 20 नवंबर को फिर से मिलेंगे.कैरी ने कहा, "हम लोग समझौते के वास्तव में बहुत-बहुत क़रीब थे."एकताबीबीसी संवाददाता किम घटास से बात करते हुए अमरीकी विदेश मंत्री ने फिर कहा कि अमरीका और ईरान के बीच मतभेद को दूर करने में समय लगेगा.उन्होंने कहा, "पिछले 35 वर्षों से हमारे बीच किसी तरह की कोई बातचीत नहीं हुई है. हमने पिछले 30 साल की तुलना में 30 घंटों के दौरान इससे ज्यादा बातचीत की है."
ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांति उद्देश्यों के लिए है, लेकिन विश्व शक्तियों को आशंका है कि वो परमाणु हथियार क्षमता हासिल कर सकता है.वहीं, कुछ रिपोर्टों के अनुसार दोनों पक्षों के बीच वार्ता इसलिए असफल रही है क्योंकि फ्रांस ईरान के हैवी वाटर प्लांट पर कड़े प्रतिबंध लगाना चाहता है.
हालांकि अमरीकी राजनयिकों का कहना है कि ईरान सरकार का इसके यूरेनियम संवर्धन के 'अधिकार' को औपचारिक रूप से अनुमति देने पर ज़ोर देना ही इस समझौते की सबसे बड़ी अड़चन रहा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान और आईएईए के बीच वार्ता ईरान और विश्व शक्तियों के बीच चल रही वार्ता के बराबर महत्वपूर्ण है.