रामनवमी 2017: आज भी मौजूद हैं इन तीन देशों में भगवान श्रीराम की 11 निशानियां
भारत के उत्तरप्रदेश में फैजाबाद शहर के निकट आज भी अयोध्या नगर मौजूद है। इस स्थान को श्रीराम का जन्मस्थान कहा जाता है। यहां आज भी उनके जन्म और शैशव काल के कई प्रमाण मिलते हैं। आजकल भले ही राम जन्म भूमि विवाद चल रहा हो पर ये तो सब मानते हैं कि इस स्थान पर राम नाम के राजा का जन्म हुआ था।
भारत का ये स्थान अब इलाहबाद के नाम से प्रसिद्ध है। कहते हैं कि इसी स्थान से आगे बढ़ते हुए श्री राम ने अपनी वन यात्रा प्रारंभ की थी और आज भी यहां ऋषि भारद्वाज के आश्रम के चिन्ह मिलते हैं। जिनसे आर्शिवाद और ज्ञान प्राप्त करके राम लक्ष्मण और सीता आगे बढ़े थे।
दण्डकारण्य
यहीं पर श्री राम ने रावण की बहन शूर्पनखा के प्रेम प्रस्ताव को ठुकराया था और लक्ष्मण ने उसके नाक कान काटे थे। इसके बाद ही राम रावण युद्ध की नींव पड़ी थी। ओडिसा, आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच फैले विशाल हरे भरे इस क्षेत्र में आज भी राम के निवास के चिन्ह मिलते हैं और यहां पर आ कर असीम शांति और ईश्वर की उपस्थिति का आभास होता है।
सु्ग्रीव और बालि का वानर राज्य यहीं था। यहीं सीता को खोजते हुए राम की भेंट हनुमान से हुई थी और यहीं बालि का वध हुआ था। तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित इस स्थान पर पुराने वानर राज्य के बड़े स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं जो ये साबित करते हैं कि रामायण में वर्णित तथ्य कोरी कल्पना नहीं थे। ये स्थान कर्नाटक के हम्पी में मौजूद है और इसे वर्ल्ड हैरिटेज साइट घोषित कर दिया गया है।
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भारत के दक्षिण में स्थित रामेश्वरम वही स्थान है जहां से श्री लंका जाने के लिए प्रभु श्री राम ने समुद्र से प्रार्थना की थी और फिर राम सेतु का र्निमाण किया था आज भी इस प्राचीन सेतु के चिन्ह यहां मिलते हैं।
तालीमन्नार
श्री लंका पहुंच कर पहली बार जहां श्री राम ने अपना खेमा स्थापित किया था तालीमन्नार वही जगह है। लंका में रावण से युद्ध करने से लेकर विजय प्राप्ति तक श्री राम यही रहे थे। यही पर सीता की अग्नि परीक्षा हुई थी। यही पर रामेश्वरम से आकर राम सेतु के जुड़ने के चिन्ह भी मिलते हैं। ये स्थान श्री लंका के मन्नार आइसलैंड पर स्थित है।