According to reports filed by Walmart with the US Senate it has spent close to $25 million about Rs 125 crore since 2008.


इंडिया में अपने स्टोर खोलने को बेकरार रीटेल कंपनी वॉलमार्ट अमेरिकी सांसदों से लॉबिंग कराने के लिए 2008 से अब तक 25 मिलियन डॉलर (करीब 125 करोड़ रुपये) खर्च कर चुकी है. इसमें हमारे देश में आने की मंजूरी देने के लिए लॉबीइंग पर खर्च भी शामिल है. वॉलमार्ट की ओर से अमेरिकी सीनेट में दाखिल डिस्क्लोजर रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है. वॉलमार्ट ने अमेरिकी सीनेट को सौंपे अपने लॉबीइंग से जुड़े डॉक्यूमेंट में बताया कि 2012 में 30 सितंबर तक कंपनी ने भारत में एफडीआई सहित कई मामलों पर डिस्कशन करने के लिए 18 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इनमें से 10 करोड़ रुपये (16.5 लाख डॉलर) सिर्फ जुलाई-सितंबर तिमाही में ही खर्च किए गए हैं. इसी तिमाही में इंडियन गवर्नमेंट ने मल्टि-ब्रैंड रिटेल में 51% एफडीआई को मंजूरी दी थी.अमेरिका में लॉबिंग की है इजाजत
वॉलमार्ट ने अमेरिकी सीनेट, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव, यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव और अमेरिकी विदेश विभाग में अपना पक्ष रखने के लिए लॉबीइंग करने के लिए पैसा खर्च किया था. अमेरिका में कंपनियों को कई डिपार्टमेंट और एजेंसियों में अपना पक्ष रखने के लिए लॉबीइंग करने की इजाजत है. हालांकि, उन्हें हर तिमाही में अमेरिकी सीनेट को अपनी लॉबीइंग गतिविधियों की जानकारी देनी होती है। वॉलमार्ट का कहना है कि वर्ष 2009 की कुछ तिमाहियों को छोड़कर वह वर्ष 2008 के बाद से भारत आने को लेकर लगातार लॉबीइंग कर रही है.बीजेपी ने फिर दिखाए तेवर इस मामले के सामने आने पर संसद में बवाल मचना शुरू हो गया है. सीनियर बीजेपी लीडर मुरली मनोहर जोशी ने कहा है कि अगले इलेक्शन में एनडीए की सरकार आने पर एफडीआई का फैसला बदल दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वालमार्ट जैसी कंपनियां इंडिया में सिर्फ पैसा कमाने के लिए आना चाहती हैं. इससे न किसानों का भला होगा और न ही किसी को रोजगार मिलेगा.

Posted By: Garima Shukla