भारतीय क्रिकेट टीम के युवा बल्लेबाज विराट कोहली ने अपनी लाजवाब बल्लेबाजी से सभी को कायल बना रखा है लेकिन इसके साथ ही समय-समय पर मैदान पर फूटने वाला उनका गुस्सा लोगों की आंखों में खटक जाता है. शुक्रवार को हरारे में जिंबाब्वे के खिलाफ दूसरे वनडे में अंपायर के फैसले पर उनकी नाराजगी ने एक बार फिर बहस छेड़ दी है कि कहीं उनका यह गुस्सा उनके करियर को गलत राह पर तो नहीं ले जा रहा?


दिग्गज बललेबाज चंदू बोर्डे की सलाहशनिवार को नोएडा स्थित एक स्कूल में अपने नाम की क्रिकेट अकादमी का उद्घाटन करने पहुंचे भारत के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज चंदू बोर्डे ने भी कोहली को क्रोध को समेट कर रखने की सलाह दी. उन्होंने कहा, ‘कोहली सचमुच शानदार बल्लेबाज है. देश को उससे ढेरों उम्मीदें हैं. उसकी आक्रमकता उसकी खासियत है, लेकिन यह आक्रमकता गुस्से में तब्दील हो जाती है, जो सच में बुरा है. उसे इस गुस्से पर काबू पाना सीखना होगा. इस मामले में उसके सामने सबसे बड़ा उदाहरण खुद उसका कप्तान एमएस धौनी है. कोहली को मैदान पर शांत रहने के लिए धौनी से टिप्स लेने की जरूरत है.’पब्लिकली गुस्सा पहली बार नहीं


यह कोई पहला मौका नहीं था जब कोहली ने अपना गुस्सा सार्वजनिक रूप से जाहिर किया. ऑस्ट्रेलिया दौरे पर सिडनी टेस्ट में दर्शकों की हूटिंग के जवाब में ‘मिडिल फिंगर’ दिखाकर वह चर्चा के केंद्र में आए थे. आइपीएल-6 में गौतम गंभीर के साथ उनकी कहा सुनी ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं. मुंबई में खेले जा रहे मैच के दौरान दर्शकों के रवैये के खिलाफ उन्होंने खुले आम अपनी नाराजगी व्यक्त की थी. मालूम होता है प्लेयर्स को नुकसान

क्रिकेट अकादमियों में किसी पेशेवर की मदद से एंगर मैनेजमेंट की क्लासेस चलाने के सवाल पर पदमश्री से सम्मानित और बीसीसीआइ चयन समिति के अध्यक्ष रहे चुके बोर्डे ने कहा, ‘ऐसा नहीं है कि खिलाडय़ों को मैदान पर सही बर्ताव के बारे में नहीं सिखाया जाता. उन्हें इसका नुकसान मालूम होता है. इसके बावजूद कभी-कभी कोई गरम माहौल में आपा खो बैठता है.हर क्षेत्र में पाए जाते हैं कोहली जैसे लोगहर क्षेत्र में कोहली जैसे लोग पाए जाते हैं. दस में एक थोड़ा गुस्से वाला निकल ही जाता है.’ भारत की तरफ से 55 टेस्ट खेलने वाले बोर्डे ने कहा, ‘इस परिस्थिति में यही होना चाहिए कि सीनियर खिलाड़ी और संबंधित अधिकारी समय-समय पर उस गुस्सैल खिलाड़ी को यह समझाते रहें कि आक्रमकता सही है, लेकिन अतिआक्रामकता उसके करियर को मुश्किल में डाल सकती है.’  जब खिलाड़ी हुए लाल-पीलेलिली बनाम मियांदादमैदान पर क्रिकेटरों द्वारा किए गए सबसे अभद्र व्यवहार की जब भी सूची बनेगी 1981 में पर्थ टेस्ट में पाकिस्तानी बल्लेबाज जावेद मियांदाद और ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज डेनिस लिली की भिड़ंत को सबसे ऊपर रखा जाएगा, जहां लिली के छेडऩे पर मियांदाद बल्ला उठाकर उन्हें मारने दौड़ पड़े थे. वार्न बनाम सैमुअल्स

बिग बैश लीग के पिछले संस्करण में ऑस्ट्रेलियाई महान स्पिनर वार्न और कैरेबियाई बल्लेबाज सैमुअल्स के बीच हुई गर्मागरम बहस क्रिकेट मैदान पर घटित अभद्रता का सबसे ताजा मामला है.मियांदाद बनाम मोरे1992 विश्व कप मैच के दौरान भारतीय विकेटकीपर किरण मोरे का मजाक उड़ाने के लिए पाकिस्तानी बल्लेबाज जावेद मियांदाद ने मेढक़ों की तरह कूद लगाई. इस हरकत के बाद वह खुद मजाक का पात्र बन गए.स्लैपगेट प्रकरण (हरभजन बनाम श्रीसंत)आइपीएल के पहले संस्करण में मैच खत्म होने के बाद जीत का जश्न मनाते श्रीसंत को विपक्षी टीम के सीनियर खिलाड़ी भज्जी द्वारा लगाए गए चांटे की गूंज आज भी रह-रह कर लोगों के कानों में पहुंच जाती है. मंकीगेट प्रकरण (साइमंड्स बनाम हरभजन)स्लेजिंग कब गाली गलौच में बदल जाती है और इससे क्रिकेट को क्या नुकसान पहुंच सकता है यह लोगों ने 2008 में सिडनी टेस्ट में देखा. जहां ऑस्ट्रेलिया के एंड्रयू साइमंड्स और भारत के हरभजन सिंह की कहासुनी ने एक समय टेस्ट और दौरे को खटाई में डाल दिया था. Report by: Rupesh Ranjan Singh (Dainik Jagran)

Posted By: Satyendra Kumar Singh