नई दिल्ली के कनॉट प्लेस इलाके में स्थित है कृष्णा मोटर गैरेज जहां नई गाड़ियों की मरम्मत के साथ साथ विंटेज गाड़ियों को दुरुस्त कर उन्हें फिर से सड़कों पर दौड़ने लायक बनाया जाता है. सभी तस्वीरें: तुषार बनर्जी की .
By: Bbc Hindi
Updated Date: Sat, 29 Sep 2012 08:34 PM (IST)
गैरेज को 50 वर्षीय ज्ञान शर्मा (दांए), अपने भाई प्रेम (बांए) और बेटे के साथ मिलकर चलाते हैं.
इस गैरेज को ज्ञान और प्रेम शर्मा के दादा ने वर्ष 1938 में खोला था.
गैरेज में पुरानी और जर्जर हालत में गाड़ियां आती हैं और जितना मुमकिन हो, उन्हें उनके मूल रंग-रूप में वापस तैयार किया जाता है.
वर्ष 1936 की एक फ़िएट बालिला, 1934 की फ़ोर्ड और 1934 की ही एक सिंगर गाड़ी. ये वो कुछ मॉडल हैं जिन पर ज्ञान शर्मा काम कर रहे हैं.
विंटेज गाड़ियों की मरम्मत में वही पुर्ज़े इस्तेमाल होते हैं जो मूल रूप से उनमें लगे होते हैं. अगर पुर्ज़े टूट गए हों, तो दिल्ली में कश्मीरी गेट जैसे मार्केट या इंटरनेट से खरीदे जाते हैं, लेकिन कई बार पुर्जों को बनवाना भी पड़ता है.
ज्ञान शर्मा कहते हैं कि उन्होंने होश संभालते ही ये काम अपने दादा और पिता को करते देखा और उनसे ही सीखा.
विंटेज गाड़ियों की मरम्मत से पहले किताबों और इंटरनेट जैसे माध्यमों से उनके ओरिजिनल मॉडल के बारे में जानकारी जुटाई जाती है. फिर शुरू होती है खोज उसके पुर्जों की, जिसके मिलने के बाद उस पर काम शुरू होता है.
मरम्मत में सबसे पहले गाड़ी के इंजन को चालू कर उसकी जांच की जाती है. इसके बाद बॉडीवर्क, डेंटिंग, पेंटिंग और वायरिंग वगरैह का काम होता है. सबसे आखिर में उसके टायर लगाए जाते हैं. एक गाड़ी ठीक करने में कम-से-कम एक साल का समय लगता है.
ज्ञान शर्मा विंटेज गाड़ियों के रेस्टोरेशन या पुनर्निमाण को अपना व्यवसाय नहीं बल्कि जुनून कहते हैं. वो कहते हैं कि ये एक कला है और कार रेस्टोरर एक कलाकार.
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