अफ़वाहों से परेशान हैं राजस्थान की महिलाएं
त्रिशूल और सिन्दूर के निशान
रात में कोई आता है, बाल काटता है, शरीर पर त्रिशूल का निशान और सिंदूर लगाकर चला जाता है- बीकानेर से शुरू होकर नागौर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर और जालौर में ऐसी अफ़वाहों की खबरें आ रही हैं। ऐसा कौन कर रहा है, इस बारे में भी बहुत सारी अफ़वाहें फैल रही हैं। कोई कह रहा है कि चुड़ैल का हाथ है इन घटनाओं के पीछे, तो कोई कह रहा है बहुत सारी गाड़ियां भर कर लोग आए हैं जो इन घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
'पाकिस्तान का हाथ'
कोई यह भी कहता है कि इन घटनाओं के पीछे पाकिस्तान का हाथ है और वो भारत से बदला लेने के लिए ऐसी घटनाएं कर रहा है। अफवाहें हैं कि बाल काटने वाले लोग अपना रूप बदलकर मोर, बिल्ली या किसी और जानवर का रूप बनाते हैं और ऐसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। बाल काटने के कुछ रोज़ बाद जिसके बाल कटते हैं उसकी मौत हो जाती है. ऐसी अफ़वाहें लोगों का डर बढ़ा रही हैं।
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फुलिया गांव की एक घटना
दावा है कि जैसलमेर के पास फुलिया गांव में ऐसी घटनाएं दो महिलाओं के साथ हुई। जिन महिलाओं के साथ ये कथित घटनाएं हुईं उनके परिजनों से बात करने की कोशिश की तो पहले कहा गया कि हां ऐसी घटना हुई हैं, लेकिन जब ये पूछा गया कि उस महिला से बात कर सकते हैं जिसके साथ ये घटना घटी, तो उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ ये सब झूठ था। पड़ोस के लोग दावा करते हैं कि रात में महिला सो रही थी और अचानक से चिल्लाने लगी कि कोई उसके बाल काट रहा है। आस-पास परिवार के दूसरे लोग सो रहे थे उन्होंने देखा कि उस महिला के बालों की एक लट कटी हुई थी। उसके बाद से उस महिला की तबियत ख़राब है।
घर वाले अब अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं।
लोगों से अपील
जैसलमेर के एसपी गौरव यादव कहते हैं, "ये पूरी तरह से अफ़वाह हैं। जैसलमेर में इस प्रकार की जो घटनाएं हुईं वहाँ मौके पर गई पुलिस को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला।" राजस्थान राज्य महिला आयोग ने लगातार आ रहीं ख़बरों को देखते हुए जहां घटनाएं हुईं उन ज़िलों के कलेक्टर और एसपी को इन मामलों की रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है। इस मामले के बारे में आयोग की अध्यक्षा सुमन शर्मा ने कहा कि इन ख़बरों से लोगों में भय का माहौल है. लोग गांव खाली कर रहे हैं, ऐसी खबरें भी आ रही हैं।
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जहां-जहां ये घटनाएं हुई हैं वहां के प्रशासन का कहना है कि जांच में ऐसी कोई बात निकलकर नहीं आई है। जैसलमेर के सरकारी अस्पताल जवाहर चिकित्सालय के पीएमओ ने कहा कि हमारे पास ऐसी किसी घटना का कोई मरीज़ नहीं आया है। बाड़मेर के रहने वाले, साहित्यकार किशोर चौधरी कहते हैं "यह समाज की सामूहिक बीमारी (मास साइकोजेनिक इलनेस) भी कही जाती है. इसके अनेक रूप हो सकते हैं। इसके फैलने की गति अविश्वसनीय हो सकती है।"
अधिकांश मामलों में महिलाएं शिकार क्यों?
इन दिनों गांवों में यह अफ़वाह भी है कि गांव के किनारे दीप जलाने से चीज़ें सुधर जाती है, तो सारी औरतें गांव किनारे दिए जलाने लगती हैं। ऐसे कई और टोटके भी अपनाए जा रहे हैं। इन घटनाओं के पीछे कौन है, प्रशासन यह पता नहीं लगा पाया है और इसे अफ़वाह करार दे रहा है। ना जाने कहां से ऐसी अफ़वाहें फैलती हैं और कुछ समय बाद लोग भूल जाते हैं। लेकिन ऐसी अफ़वाहें के चलते कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
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