अंधेरे में फिजिकल फिटनेस की तैयारी करने को मजबूर दून के युवा
देहरादून (ब्यूरो) इस वर्ष आखिर तक उत्तराखंड को 38वें नेशनल गेम्स की मेजबानी का जिम्मा सौंपा गया है। बाकायदा, इंडियन ओलंपिंक एसोसिएशन ने गोवा नेशनल गेम्स के बाद उत्तराखंड को मशाल भी सौंप दी है। इसके लिए सरकार के लेवल पर युद्धस्तर पर तैयारियां पूरी किए जाने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। लेकिन, ये सच्चाई आपके सामने है। दरअसल, राजधानी दून का ये वही परेड ग्राउंड है, जहां पर रोजना सैकड़ों की संख्या में प्रैक्टिस के लिए खिलाड़ी पहुंचते हैं। इनमें अधिकतर वे खिलाड़ी होते हैं, जिनके पास स्पोट्र्स एकेडमी में दाखिला लेने तक के लिए पैसे नहीं होते हैं। वे खुले आसमान के नीचे ऐसे ही खेल के विभाग के इस ग्राउंड में रोज प्रैक्टिस के लिए पहुंचते हैं। ये प्रक्रिया आज से नहीं, बल्कि कई वर्षों से चली आ रही है।
कई दिनों से लाइटें बंद
दिलचस्प बात ये है कि शहर के ठीक बीच में स्थित इस ग्राउंड में खिलाडिय़ों व अन्य युवाओं के खेलने तक के लिए लाइट की सुविधा नहीं है। वर्तमान में इस ग्राउंड कई ऐसे युवा भी आ रहे हैं, जो केंद्र सरकार की अग्निवीर की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन, ग्राउंड में लाइट न होने की वजह से वे अंधेरे में ही प्रैक्टिस करने को मजबूर हैं। इन युवाओं की संख्या सैकड़ों में है। इन युवाओं का कहना है कि करीब दस से पंद्रह दिन का वक्त बीत चुका है, वे बिना लाइट के लिए मोबाइल की लाइट पर अपनी प्रैक्टिस के लिए मजबूर हैं। ये वही युवा हैं, जिन्होंने गढ़वाल राइफल की अग्निवीर का रिटर्न एग्जाम पूरा कर दिया है। अब उन्हें फिजिकल की परीक्षा पास करनी है। जिसके लिए वे परेड ग्राउंड में देर शाम के वक्त और सुबह के समय अंधेरे में प्रैक्टिस के लिए पहुंच रहे हैं।
बताया गया है कि परेड ग्राउंड में हाई मास्क के साथ कुछ लाइटें लगी हुई थी। लेकिन, अब वे लंबे समय से खराब हो गई हैं। ऐसे में यहां प्रैक्टिस के लिए पहुंचने वाले खिलाड़ी और आर्मी के लिए तैयारी कर रहे युवा बिना लाइट के ही प्रैक्टिस कर रहे हैं। बदले में विभाग का कहना है कि बरसात में फॉल्ट या फिर शॉर्ट सर्किट आने के कारण लाइटें बंद हो गई हैं। इसके लिए बजट की मांग की जा रही है। जल्द लाइटों को ठीक कराने के प्रयास किए जाएंगे।
दिन में जॉब, रात को प्रैक्टिस
रात में जो युवा अग्निवीर की तैयारी कर रहे हैं, वे दिन में दूसरी जॉब करते हैं। जिस कारण उन्हें रात में प्रैक्टिस के लिए ग्राउंड पहुंचना पड़ता है। ऐसे ही मॉर्निंग में भी अंधेरे में युवा ग्राउंड मेें पहुंचते हैं।