कोटद्वार निवासी प्रशांत रावत जीएनएम का कोर्स करने के बाद वर्तमान में दून के निजी अस्पताल में नौकरी कर रहे हैं. प्रशांत अब जर्मन भाषा में बी-2 की ट्रेनिंग पूरा करने का इंतजार कर रहे हैं.


देहरादून,(ब्यूरो): कोटद्वार निवासी प्रशांत रावत जीएनएम का कोर्स करने के बाद वर्तमान में दून के निजी अस्पताल में नौकरी कर रहे हैं। प्रशांत अब जर्मन भाषा में बी-2 की ट्रेनिंग पूरा करने का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद वे जर्मनी में ढाई से साढ़े तीन लाख रुपए मासिक वेतन वाली नौकरी शुरू कर सकेंगे। जिसका ऑफर लेटर उन्हें पहले ही मिल चुका है। ये एग्जांपल समझने के लिए काफी है। प्रदेश सरकार की ओर से चलाई जा रही मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन व वैश्विक रोजगार योजना ने प्रशांत के इन सपनों को रंग भरने का काम किया है। ऐसे ही चयनित बाकी युवाओं ने भी सीएम पुष्कर सिंह धामी का आभार जताया है।15 युवाओं को जर्मन की ट्रेनिंग


पीएम नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और सीएम पुष्कर धामी के मार्गदर्शन से सेवायोजन विभाग की ओर से चलाई जा रही मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन व वैश्विक रोजगार योजना राज्य के युवाओं को विदेश में रोजगार के अवसर प्रदान कर रही है। योजना के तहत जर्मनी में नर्सिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक 15 युवाओं को दून में जर्मन लैंग्वेज की ट्रेनिंग दी जा रही है। उक्त सभी युवा बीएससी नर्सिंग, जीएनएम जैसे कोर्स करने के बाद वर्तमान में दून में प्राइवेट जॉब कर रहे हैं। बताया गया है कि वे विदेशी भाषा की ट्रेनिंग लेने के बाद जर्मनी में रोजगार हासिल कर उत्तराखंड ही नहीं देश का भी नाम रोशन करेंगे। प्रदेश सरकार के प्रयासों से इन युवाओं का चयन पहले ही जर्मनी के कई हॉस्पिटलों में ढाई से साढ़े तीन लाख हर माह की सैलरी के हिसाब से हो चुका है। ऐसे में अब इन युवाओं को इसके लिए जर्मन भाषा में बी-2 परीक्षा पास करनी है।ये कहना है युवाओं काकेस-1योजना के तहत ट्रेनिंग ले रही दून त्यागी रोड निवासी अवंतिका बताती हैं कि यदि वो बाहर से जर्मन भाषा का प्रशिक्षण लेती तो, इसमें 4 लाख तक का खर्च वहन करना पड़ता। लेकिन, सरकार के अधीन आधे से कम खर्च में प्रशिक्षण मिल रहा है। इसके अलावा चयन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की ठगी की भी संभावना नहीं है।केस-2रानीपोखरी निवासी आस्था शर्मा भी चयनित युवाओं में शामिल है। आस्था के मुताबिक करीब एक साल की ट्रेनिंग पर डेढ़ लाख का खर्च आ रहा है। इसमें 20 परसेंट खर्च सरकार उठा रही है। इसमें वीजा खर्च भी शामिल है। बताया, योजना के तहत उन्हें जर्मनी में दो साल का वर्क वीजा भी मिलेगा।केस-3

टिहरी निवासी काव्य चौहान कहती हैं कि उन्होंने सरकारी नौकरी के उद्देश्य से बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई की थी। लेकिन, योजना की जानकारी के बाद उन्होंने जर्मनी में अपना करियर बनाने का निर्णय लिया। जहां नौकरी के लिए उन्हें ऑफर लेटर भी मिल चुका है।केस-4देहरादून निवासी प्रवीण लिंगवाल के मुताबिक इस योजना के कारण ही उनका विदेश में रोजगार का सपना पूरा हो रहा है। सरकार की ये योजना यकीनन युवाओं के लिए बेहद लाभदायक है।उत्तराखंड के युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है। हमारी कोशिश है कि युवा शक्ति को स्किल प्रदान कर वैश्विक रोजगार के लिए तैयार किया जाए। ये युवा विदेश में उत्तराखंड का ही नहीं, देश का नाम भी रोशन करेंगे।-पुष्कर सिंह धामी, सीएम, उत्तराखंड.

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Posted By: Inextlive