कठिनाइयों और विषम परिस्थितियों के बावजूद समाज में अलग पहचान बनाना मुश्किल ही नहीं बहुत कठिन है लेकिन पहाड़ की कई ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने परिश्रम और साहस के दम पर समाज में कई कहानियां गढ़ी हैं जो आज हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत भी बनी है.


देहरादून,(ब्यूरो): कठिनाइयों और विषम परिस्थितियों के बावजूद समाज में अलग पहचान बनाना मुश्किल ही नहीं बहुत कठिन है, लेकिन पहाड़ की कई ऐसी महिलाएं हैं, जिन्होंने परिश्रम और साहस के दम पर समाज में कई कहानियां गढ़ी हैं, जो आज हर किसी के लिए प्रेरणास्रोत भी बनी है। एक नहीं बल्कि ऐसी दर्जनों महिलाएं हैं, जिन्होंने अलख जगाकर लोगों को मोटिवेट किया है, कुछ ऐसी ही महिलाओं के साहस की कहानियां हम आपको बता रहे हैं। खास बात यह है कि समाज में अलग पहचान बनाने वाली एक दर्जन महिलाओं को तीलू रौतेली अवार्ड से सम्मानित किया जा रहा है। जब गुलदार से भिड़ गई विनीता


रुद्रप्रयाग जिले के जखोली में जंगल में चारापत्ती लेने जा रही सास और बहू पर घात लगाए गुलदार ने एकाएक हमला बोल दिया। सास को छुड़ाने के लिए विनीता देवी गुलदार से भिड़ गई। वह किसी तरह गुलदार के जबड़े से न खुद बल्कि सास को भी बचा पाने में सफल रही। उसके शोर मचाने के बाद मौके पर पहुंचे ग्रामीणों के शोर मचाने के बाद गुलदार भाग गया। हमले से सास के माथे और बहू के पैरों में गुलदार के नाखून के गहरे घाव आज भी मौजूद हैं। किसी तरह परिजन देने सास-बहू को जिला चिकित्सालय भर्ती कर उपचार कराया। विनीता देवी ने भागने के बजाय सास को बचाने के लिए अपनी जान को जोखिम में डाला। उनके वीरता को देख हर कोई विषम परिस्थितियों में साहस दिखाने के लिए प्रेरित हो रहा है। लोक संगीत के संरक्षण की जगाई अलख डॉ। माधुरी बर्थवाल उत्तराखंड के लोक संगीत के संरक्षण और प्रचार के लिए वर्षों से लगातार काम कर रही है। उन्होंने लोगों में लोक संगीत की अलख जगाई है। 2022 में डॉ। माधुरी बड़थ्वाल को पद्मश्री से भी नवाजा गया है। डॉ। माधुरी पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के दमराड़ा गांव की रहने वाली हैं। वह वर्तमान में देहरादून के बालावाला में रहती हैं। उनके पिता चंद्रमणि उनियाल स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे, उनकी प्रारंभिक शिक्षा लैंसडौन में ही हुई।22 साल की उम्र में किए 13 गढ़ फतह

पौड़ी गढ़वाल की रहने वाली वीरांगना तीलू रौतेली जिसने रणभूमि में उतरकर दुश्मनों को रणभूमि में कड़ी चुनौती दी और कई गढ़ों पर भी विजय प्राप्त कर अपने प्राणों की आहुति देकर वीरगति को प्राप्त हो गई। उनकी वीरता ऐसी कि 15 वर्ष की उम्र में वे रणभूमि में कूद पड़ी थीं और सात साल तक जिसने अपने दुश्मन कत्यूरी राजाओं को कड़ी चुनौती दी थी। 22 साल की उम्र में उन्होंने 13 गढ़ों पर विजय प्राप्त कर ली थी। 13 राज्यों से 32 आंगनबाड़ी वर्कर को भी सम्मानित किया जाएगा।वीरता के लिए सम्मान तीलू रौतेली सम्मान पाने वाली महिलाएं स्वयं को अलग-अलग क्षेत्र में साबित कर चुकी हैंं। लोक संगीत विशेषज्ञ डॉ। माधुरी बड़थ्वाल समेत 13 विभूतियां इसमें शामिल है। तीलू रौतेली की वीरता की याद में उत्तराखंड की वीरांगनाओं को सम्मानित किया जाएगा।इन्हें मिलेगा अवार्ड-डॉ। माधुरी बड़थ्वाल- देहरादून -गीता गैरोला- उत्तरकाशी -ओलंपियन अंकिता ध्यानी- पौड़ी-दिव्यांग तैराक- प्रीति गोस्वामी-अल्मोड़ा - ताईक्वांडो खिलाड़ी नेहा देवली-बागेश्वर-पावर लिफ्टर संगीता राणा-हरिद्वार-पैरा बैडङ्क्षमटन खिलाड़ी- मनदीप कौर-ऊधम ङ्क्षसह नगर-नर्मदा देवी रावत-चमोली-सोनिया आर्य-चंपावत-सुधा पाल-नैनीताल-शकुंतला दत्ताल-पिथौरागढ़-रीना उनियाल-टिहरी-विनीता देवी- रुद्रप्रयाग

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Posted By: Inextlive