दून को स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में बेहतर रैंकिंग मिल सके इसके लिए लगातार प्रयास जारी हैं। ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन अपील जारी है। लोगों से सहयोग मांगा जा रहा है। पिछले रैंकिंग में मात खाया नगर निगम इस बार बेहतर सुधार के लिए जद्दोजहद कर रहा है। लेकिन कई मामलों में निगम को सफलता नहीं मिल पा रही है। स्थिति ये है कि शहर में कई अवैध रिक्शा चल रहे हैं जो गली-मोहल्लों से सरकारी रिक्शा के नाम पर कूड़ा उठान कर रहे हैं। बाकायदा लोगों से पैसा भी ले रहे हैैं। लेकिन सड़कों के किनारे मौजूद बड़े डस्टबिन में बेतरतीब कूड़ा अनलोड कर दे रहे हैं। जिससे सड़कों पर कूड़ा फैल जा रहा है। इनसे नगर निगम को स्वच्छ सर्वेक्षण के नाम पर पलीता लग रहा है।

- निगम की टीम ने कई अवैध रिक्शा संचालकों को दबोचा
- गल्ली मोहल्लों से वसूल रहे पैसे, यहां-वहां फेंक रहे कूड़ा

देहरादून, 13 अगस्त (ब्यूरो)। सैटरडे को नगर निगम की टीम ने रुटीन इंसपेक्शन में कुछ ऐसे रिक्शा पकड़े, जो पूरी तरह से अवैध तरीके से चल रहे थे। निगम की टीम को इस दौरान मालूम चला कि ये रिक्शा संचालक कई स्थानों से कूड़ा इक_ा कर इधर-उधर कूड़े को निस्तारित करते हैं। इनको नगर निगम ने नियमों के मुताबिक गंभीर विषय बताया है। कहा है कि ये सरासर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स का भी वॉयलेशन है। इन रिक्शा को निगम टीम ने कब्जे में लेकर सीज कर दिया है। निगम टीम ने जब आरटीओ से इनकी जानकारी ली तो ये मोटरसाइकिल युक्त रिक्शा पूरी तरह अवैध तरीके से चल रहे हैं। इनका रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। वहीं, निगम ने लोगों से अपील की है कि वे भी ऐसे मोटरसाइकिल युक्त रिक्शा का ध्यान दें। इन्हें कूड़ा देने से परहेज करें। जिससे दून में बेहतर वेस्ट मैनेजमेंट हो सके और शहर स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग में आगे बढ़ सके।

::पब्लिक वर्जन:::
राजधानी में कूड़ा निस्तारण में सिस्टम पूरी तरह फेल है। निगम के अधिकारी देखें कि डोर टू डोर कूड़े की गाड़ी जा रही है या नहीं। तभी सिस्टम सुचारू होगा। स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग की भी उम्मीद की जा सकती है।
गौरव वर्मा

राजधानी दून में इस समय पब्लिक प्लेसेस पर डस्टबिन न के बराबर हैं। ऐसे में लोग सड़क या फिर ओपन ग्राउंड में ही कूड़े को डंप कर दे रहे हैं। पब्लिक को सुविधाएं नहीं मिलेगी तो स्वच्छ सर्वेक्षण केवल कल्पना मात्र का रह जाएगा।
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पॉलीथिन भी स्वच्छ सर्वेक्षण में बड़ा रोल प्ले कर सकता है। निगम छोटे बाजारों व व्यवसाइयों की चालानी कार्रवाई कर लेता है। लेकिन, बड़ी कंपनियों के प्रोडक्ट्स के रैपर के खिलाफ कोई नियम कानून नहीं हैं।
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यकीनन स्वच्छ सर्वे में निगम के साथ पब्लिक को भी आगे होना होगा। लेकिन, निगम प्रशासन लगातार अपने एक्सपेरीमेंट्स में फेल हो रहा है। कभी डस्टबिन की हां, कभी ना। सेग्रीगेशन फॉर्मूला पूरी तहह फेल।
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सुबह शाम कूड़े की परोपर मॉनिटरिंग हो। टीम 24 घंटे एक्टिव मोड में हो। कॉल सेंटर तैयार होने के साथ फोन लाइन खुले। जैसे ही कंप्लेन आए, टीम रवाना की जाए। तभी तो स्वच्छ सर्वेक्षण रैंकिंग की सोच पाएंगे।
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लगातार फीड बैक की अपील
::वर्षवार मिला फीडबैक:::
2023---6800
2022--12000
2021--6500
2020--4000

फीडबैक के लिए पूछे जा रहे ये सवाल
-आपके यहां सेग्रीगेट कूड़ा उठता है या नहीं
-डोर टू डोर कूड़ा की क्या है स्थिति
-आपके पास डस्टबिन की क्या है स्थिति।

इन एप से दे सकते हैं फीडबैक
-स्वच्छता एप
-माई जीओवी पोर्टल
-वोट फॉर सिटी एप।

::राजधानी में कूड़े की स्थिति पर एक नजर::
-वार्डों की संख्या ---100
-कूड़ा सेग्रीगेट करने वाले वार्ड--2
-अब तक नॉन सेग्रीगेट वाले वार्ड--98
-रोजाना कूड़ा कलेक्शन --360 मीट्रिक टन।

सोशल मीडिया पर रिएक्शंस नहीं
दून नगर निगम की ओर से लगातार स्वच्छता रैंकिंग में सुधार के लिए लोगों से भी अपील की जा रही है। बाकायदा, पिछले तीन महीने से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की भी मदद ली जा रही है। लेकिन, खुद नगर निगम सोशल मीडिया पर अब तक स्ट्रांग पोजिशन में नजर नहीं आता है। बात ट्विटर की करें तो नगर निगम दून के केवल 1338 फॉलोवर्स हैं। जाहिर सी बात है कि हजारों की संख्या में पब्लिक से फीडबैक की उम्मीद संजोए नगर निगम प्रशासन कम से कम ट्विटर के जरिए केवल 1338 लोगों तक ही अपना मैसेज कनवे करा पा रहा है। हालांकि, निगम का दावा है कि इसके लिए पब्लिक अवेयरनेस, स्कूल, कॉलेज और इंस्टीट्यूशनल गैदरिंग, पोस्टर बैनर के जरिए अपील किए जाने की बात कही जा रही है। लेकिन, इसका कितना असर होगा, ये तो स्वच्छ सर्वे के बाद ही पता चल पाएगा। ट्विटर पर तो नगर निगम को लाइक्स तक नहीं मिल पा रहे हैं।

::सोशल मीडिया पर पब्लिक रिएक्शंस:::
सबसे पहले नगर निगम को ड्रैनेज सिस्टम पर ध्यान देने की जरूरत है।
-हरिसिमरन सिंह।

हमारा शहर, हमारी शान। स्वच्छता एप में फीडबैक देकर देहरादून को नंबर वन बनाएं। अब आप कुछ करिए।
-अतुल गुप्ता

हर तरफ कूड़ा ही कूड़ा है शहर में। कैसे हम नंबर वन आ सकते हैं। इसके लिए ग्राउंड वर्क की जरूरत है।
-ओम वर्मा

बच्चों के खेलने के लिए कोई भी एक ग्राउंड शहर में नहीं छोड़ा गया है। नेहरू कॉलोनी ग्राउंड, बन्नू स्कूल और अब परेड ग्राउंड को भी प्रशासन ने बंद कर दिया है।
नीरज रावत

Posted By: Inextlive