राजधानी दून में आने वाले दिनों में कई सड़कें व्हाइट टॉप की नजर आएंगी। थिन-व्हाइट टेक्नोलॉजी का दून में पहली बार एक्सपेरिमेंट हो रहा है। कुछ सड़कों को थिन-व्हाइट टेक्नोलॉजी से बनाने की पीडब्ल्यूडी योजना बना रहा है। जल भराव वाले एरिया के लिए यह तकनीक बहुत ही कारगर बताई जा रही है।

- राजधानी दून में थिन-व्हाइट टेक्नोलॉजी का पहली बार इंप्लीमेंटेशन
- 20 साल तक के लिए रोड मेंटेनेंस की छुट्टी, करोड़ों की होगी बचत

देहरादून (ब्यूरो): दअरसल पानी से डामर धीरे-धीरे उखडऩा शुरू हो जाता है, जिससे सड़कों पर गड्ढ़े बन जाते हैं। हॉटमिक्स सड़कों का हर साल मेंटेनेंस जरूरी है जबकि मशीन से बनने वाली व्हाइट टॉप रोड को 20 साल तक मेंटेनेंस की जरूरत नहीं है। सीमेंट कंक्रीट मिक्स से बनने वाली व्हाइट रोड हॉटमिक्स के मुकाबले महंगी है, लेकिन यह लॉन्ग लाइफ है। शासन ने भी इस टेक्नोलॉजी को इंप्लीमेंट करने की अनुमति दे दी है। कहां-कहां व्हाइट रोड बनाई जानी है, इसके लिए पीडब्ल्यूडी सर्वे कर योजना तैयार कर रहा है। इस टेक्नोलॉजी को हॉटमिक्सिंग के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।

बार-बार गड्ढों की समस्या से मुक्ति
बारिश से बार-बार डैमेज होने वाली हॉटमिक्स रोड की लंबे समय तक सुरक्षा के लिए थिन-व्हाइट रोड एक मात्र विकल्प है। इस वर्षाकाल में दून की सड़कों को खासा नुकसान पहुंचा है। दून के पीडब्ल्यूडी के विभिन्न डिविजनों में वर्षा से 10 से 12 करोड़ रुपये से अधिक की क्षति होना बताया जा रहा है। सड़कों को बारिश से होने वाली क्षति से बचाने के लिए सरकार व्हाइट टॉप रोड को विकल्प के रूप में देख रही है।

करोड़ों की होगी बचत
पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर एनपी सिंह ने बताया कि बारिश से डामर उखडऩे से हर सीजन में सड़कों का मेंटेनेंस होता है। ये मेंटेनेंस एक-दो नहीं कई-कई करोड़ से होता है। व्हाइट टॉप रोड बनने से 20 साल तक मेंटेनेंस की जरूरत नहीं पड़ेगी। मेंटेनेंस फ्री इस नई टेक्नोलॉजी से करोड़ों रुपए की बचत होगी। रोड पर बार-बार मेंटेनेंस नहीं करना पड़ेगा। यूपी में अध्योया के बाद अब दून में इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है।

ये होंगे फायदे
- बार-बार सड़कों के मेंटेनेंस का झंझट नहीं
- एक बार रोड बनने पर अगले 20 साल तक की छुट्टी
- हर 6 माह में लगने वाले पैसे की भी होगी बचत
- रोड की लाइफ बढऩे के साथ ही आवाजाही होगी सुगम
- बारिश से रोड टूटने का नहीं रहेगा खतरा, गड्ढों से मिलेगी मुक्ति

सर्विस लेन पर पहला एक्सपेरिमेंट
दून में सबसे पहले आईएसबीटी एरिया में व्हाइट टॉप रोड बनने जा रही है। निरंजनपुर मंडी की तरफ से जाने पर आईएसबीटी फ्लाईओवर की दोनों सर्विस लेन पर थिन-व्हाइट तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। गड्ढों से 12 महीने बेहाल रहने वाली सड़कों पर थिन-व्हाइट का इस्तेमाल होने पर अगले 20 साल तक मेंटेनेंस की छुट्टी हो जाएगी। आईएसबीटी के बाद दूसरी रोड पर भी इस तकनीक को प्रयोग करने के लिए सड़कों का चयन शुरू कर दिया गया है।

1200 मीटर रोड होगी व्हाइट टॉप
नेशनल हाईवे पीडब्ल्यूडी डिविजन डोईवाला के अधिशासी अभियंता प्रवीण कुमार ने बताया कि आईएसबीटी में फ्लाईओवर की दोनों साइड थिन-व्हाइट तकनीक से रोड बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि थिन-व्हाइट सीमेंट की एक परत होती है, जिसके लिए सड़क पर पहले डीबीएम (डेंस बिटुमिंस मैकेडम) का कार्य किया जा रहा है और फिर ऊपर से सीमेंट की 19 सेंटीमीटर की परत बिछाई जा रही है। यह परत सड़क की उम्र बढ़ा देती है। इस पूरे कार्य के लिए करीब 4 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इस धनराशि से आईएसबीटी फ्लाईओवर की सर्विस लेन के दोनों तरफ 610-610 मीटर यानि 1220 मीटर के करीब व्हाइट टॉप रोड बनाई जा रही है, जिसकी चौड़ाई 5.50 मीटर है। उन्होंने बताया कि थिन-व्हाइट की ऊंचाई 19 सेमी। है, जबकि नीचे की रत 7.5 सेमी। है। पानी वाले एरिया में इस तकनीक सबसे कारगर साबित है।

थिन-व्हाइट टेक्नोलॉजी से रोड निर्माण को सरकार ने मंजूरी दे दी है। यह हॉटमिक्सिंग के मुकाबले महंगी जरूर है, लेकिन लॉन्ग लाइफ और मेंटेनेंस फ्री है। जल भराव वाले एरिया में ये तकनीक कारगर है। इसके लिए सड़कों का चयन किया जा रहा है।
एनपी सिंह, चीफ इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी
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Posted By: Inextlive