दुनियाभर में आज इंटरनेशनल प्लास्टिक बैग फ्री डे मनाया जा रहा है. एक बार फिर से नो प्लास्टिक पर जोर दिया जा रहा है. लेकिन सच्चाई कुछ और है.

देहरादून, (ब्यूरो): दुनियाभर में आज इंटरनेशनल प्लास्टिक बैग फ्री डे मनाया जा रहा है। एक बार फिर से नो प्लास्टिक पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन, सच्चाई कुछ और है। एक पल ऐसा लगता है कि प्लास्टिक नहीं की बात करने वाले महज औपचारिकता कर रहे हैं। आंकड़ों पर गौर करें, तो राजधानी दून नगर निगम से लेकर कैंट बोर्ड और मंडी तक में कई बार सिंगल यूज प्लास्टिक पर ताबड़तोड़ कार्रवाई होती है। लोगों से अपील की जाती है। लेकिन, प्लास्टिक के कारोबारी अपने फायदे के लिए प्लास्टिक के व्यापार से पीछे नहीं हटते हैं और आम लोग अपनी सुविधा के लिए सामान की खरीदारी के दौरान प्लास्टिक की डिमांड करने लगते हैं।

3 महीने में 6.62 लाख जुर्माना
वर्ष 2009 में दुनियाभर को प्लास्टिक फ्री करने का ऐलान किया गया था। इसके बाद हर वर्ष 3 जुलाई को इंटरनेशनल प्लास्टिक बैग फ्री डे मनाया जा रहा है। लेकिन, कई बार ये दिन दन में खानापूर्ति के लिए महसूस होता है। दून में फिलहाल सिंगल यूज प्लास्टिक का हर इलाकों में पूरा यूज हो रहा है। कोई पूछने वाला नहीं है। हां, कई बार नगर निगम दून को याद आती है तो वह कैंपेन चला देता है। कुछ दिन बाद फिर वही हाल नजर आने लगता है। बहरहाल, दून नगर निगम की ओर से की गई कार्रवाई पर गौर करें तो इस वर्ष नगर निगम ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर 2085 से ज्यादा निरीक्षण किए, जिसमें 1301 को उल्लंघन करते हुए पकड़ा और उनका चालान काटा। वहीं, 1508 केजी प्लास्टिक भी बरामद किया और 662000 का जुर्माना ठोका। इसी प्रकार से कैंट बोर्ड, निरंजनपुर की ओर से समय-समय पर सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर कार्रवाई की जाती रही है। लेकिन, इसके बावजूद प्लास्टिक का यूज कम होने का नाम नहीं ले रहा है।

एसयूपी पर निगम की कार्रवाई
वर्ष-- निरीक्षण-- उल्लंघन -- चालान -- जब्त -- पैनल्टी
अप्रैल 2024 - 18 8 8 20 3650
मई 2024 - 813 325 325 1327 442100

जून 2024 - 1254 968 968 161 216250

क्यों है प्लास्टिक हानिकारक
सिंगल यूज प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं होता। इसकी रिसाइकिलिंग भी नहीं हो पाती है। ये प्लास्टिक किसी न किसी तरह से समुद्र और नदियों में जाकर मिल जाता है। जिससे समुद्री और जल जीवों की जान को खतरा होता है। हर साल कितने ही जानवर कूड़े में मिला हुआ प्लास्टिक खाने की वजह से मर जाते हैं। इसके साथ इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है।

140 प्लास्टिक बैंक शुरू
सिंगल यूज प्लास्टि के विरोध में कुछ गैर सरकारी संस्थाएं भी इस पर काम कर रही हैं। उनमें से एक है सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन। संस्था के फाउंडर अनूप नौटियाल के अनुसार बीते 8 महीने
प्लास्टिक के खात्मे के लिए प्लास्टिक बैंक की शुरुआत की गई। इसके तहत सिटी के अलग-अलग इलाकाककं पर प्लास्टिक बैंक खोले गए। इसके लिए लोगों को मोटिवेट करने की भी कोशिश की गई। बताने की कोशिश की कि वे अपने कचरे को सेग्रीगेट करें। खासकर प्लास्टिक के इस्तेमाल पर ध्यान दें। यही कारण है कि अब तक दून में 140 प्लास्टिक बैंक खोले गए हैं। इनमें 40 स्कूल हैं, जहां 25,000 से ज्यादा स्टूडेंट्स इस प्रोजेक्ट में शामिल हो चुके हैं।

भेजा जाता है सेग्रीगेशन सेंटर
प्लास्टिक बैंक के तहत प्लास्टिक इकट्ठा करने के बाद वेस्ट लर्निंग एंड सेग्रिगेशन सेंटर भेजा जाता है। जहां इस प्लास्टिक कचरे को अलग करने के बाद रिसाइकिल कर पेट्रोल व टाइल्स बनाने जैसे काम के लिए यूज किया जायेगा।

ये बदलाव लाने का एक मजबूत माध्यम है। दून के लोगों से मेरा यही कहना है कि रीसाइकिलिंग को इसका विकल्प न समझें। सबसे पहले हमें अपने प्लास्टिक के उपयोग को कम करना होगा। उसके बाद उसे सही तरीके से निस्तारित करना है।
अनूप नौटियाल, संस्थापक, एसडीएसी फाउंडेशन.

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Posted By: Inextlive