नगर निगम का स्वच्छ सर्वे में पिछडऩे का कारण शत प्रतिशत डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन न हो पाना था। कलेक्शन के साथ ही गार्बेज सेग्रीगेशन की व्यवस्था दून में आज तक प्रभावी तरीके से नहीं हो पाई है।

देहरादून, 9 अगस्त (ब्यूरो)।

स्वच्छ सर्वे से पहले दून नगर निगम टॉप-10 में आने का दावा तो हर बार करता है, लेकिन हर बार पिछड़ जाता है। ऐसा नहीं है कि दून की स्वच्छता रैैंकिंग में सुधार न हुआ हो, लेकिन हकीकत तो यह है कि स्वच्छ दून का नारा बुलंद करने के लिए अभी भी बहुत कदम उठाए जाने जरूरी हैैं। दून के पिछडऩे के भी कई कारण हैैं, जिनमें आज भी सुधार की जरूरत है। इस बार भी नगर निगम टॉप-10 स्वच्छ शहरों में जगह बनाने का दावा कर रहा है। देखना होगा कि परिणाम क्या रहते हैैं।

इन कमियों से पिछड़ा दून
वाटर सप्लाई की जानकारी न देना
हर बार नगर निगम की ओर से वाटर सप्लाई और उस दौरान सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी देना नियम में शामिल है। लेकिन, नगर निगम इसमें हर बार पिछड़ जाता था। इसके तहत नगर निगम को जल संस्थान की ओर से सप्लाई के दौरान डिस्ट्रीब्यूशन से लेकर एसटीपी की व्यवस्था की जानकारी नहीं दे पाता था। जिसमें वाटर ट्रीटमेंट की व्यवस्था भी शामिल थी।

खुले में कूड़ा फेंकना
डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के बाद सिटी में अलग-अलग एरियाज में रखे डस्टबिन से समय से कूड़ा न उठना भी सबसे बड़ा कारण रहा। सिटी के मुख्य मार्ग में रखे डस्टबिन में कूड़ा हमेशा डस्टबिन से बाहर पड़ा मिलता है।

पार्कों की स्थिति दयनीय
स्वच्छ सर्वे के दौरान सिटी में पार्कों की स्थिति से लेकर उनके रखरखाव की जानकारी होनी जरूरी थी। पार्क में बैठने से लेकर जिम व अन्य सुविधाओं की व्यवस्था भी इसमें शामिल है। जिससे सिटी के लोगों को हरियाली मिल सके। इस मामले में निगम पीछे रहा।

फीडबैक में परेशानी
स्वच्छ सर्वे का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया पब्लिक फीडबैक भी है। जो कुल जनसख्ंया का 5 परसेंट देना जरूरी होता है। लेकिन, हर बार नगर निगम फीडबैक का टारगेट ही पूरा नहीं कर पाता था। जिससे रैंकिंग पर असर पड़ा।

वर्षवार यह रही दून की रैैंक
वर्ष - रैंक
2019 -384
2020-124
2021-82
2022-69

आंकड़ों में दून
- वार्र्ड - 100
- जनसंख्या - 8.75 लाख
- फ्लोटिंग पॉपुलेशन - 11 लाख
- निगम में तैनात कर्मचारी - 2600
- सिटी में डस्टबिन बड़े - 9
- छोटे डस्टबिन - 59
-कूड़ा वाहन - 56

अब निगम के ये दावे
- सिटी के पार्क एरियाज किए जा रहे दुरुस्त।
- पार्क में जिम और बैठने की व्यवस्था करना।
-पब्लिक टॉयलेट की व्यवस्था दुरुस्त होना।
- नालियों के ऊपर कूड़ा न जमने देना।
- गार्बेज फ्री सिटी के लिए प्लान तैयार।
- गार्बेज सेग्रिगेशन को प्रमोट किया।

पूरी तैयारी का नारा
स्वच्छता रैंकिंग को लेकर 5 सालों में दून ने सुधार किया है। सबसे पहले दून 384वें स्थान पर रहा। पिछले वर्ष दून को 69वीं रैंक मिली। लेकिन दावे के मुताबिक टॉप-25 में आने का सपना पूरा नहीं हुआ। इस बार निगम ने टॉप-10 में जगह बनाने का दावा किया है। देखना होगा कि ये सपना पूरा होता है या नहीं।

अवेयरनेस के लिए ये कदम
-स्कूल व कॉलेज में जाकर लिया जा रहा फीडबैक।
-निगम की टीम घर-घर जाकर कर रही अवेयर।
-एनजीओ से भी ली जा रही सहायता।
-कूड़ा कलेक्शन मॉनिटरिंग के लिए वार्डवार सुपरवाइजर की ड्यूटी।

हमारी ओर से हर बार ज्यादा सुधार के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। हर बार थोड़ी सी कमी के चलते टारगेट पूरा नहीं कर पात है। लेकिन, इस बार ज्यादा तैयारी है। जिसके बाद दून टॉप 10 में जगह अवश्य बना लेगा।
सुनील उनियाल गामा, मेयर
dehradun@inext.co.in

Posted By: Inextlive