इन दिनों में बनारसी सिल्क में इमीटेशन सिल्क साड़ी की डिमांड भी बढ़ गई है। इमीटेशन की साड़ी का लुक आमतौर पर बनारसी साड़ी जैसा लुक में माना जाता है जो करीब ढ़ाई हजार रुपए तक आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। जानकार बताते हैं कि बनारसी साड़ी की कॉपी इमीटेशन को भी महिलाएं पसंद कर रही हैं।

देहरादून, 21 दिसम्बर (ब्यूरो):

महिलाओं का सबसे पसंदीदा लिबास साड़ी। शादी हो, पार्टी हो या फिर फेयरवेल पार्टी। साड़ी की डिमांड ऑलटाइम, ऑलवेदर बनी ही रहती है। उसमें अगर कांजीवरम्, बनारसी सिल्क, साउथ सिल्क मेड जैसी साडिय़ां हो जाएं तो फिर बात ही क्या। जी हां, दून में महिलाएं कुछ इसी अंदाज में साडिय़ों की डिमांड कर रहे हैं। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तो शहर में हर साल अकेले साडिय़ों का कारोबार 60 से लेकर 70 करोड़ तक पहुंच जा रहा है। यहां तक कि खरीदार 1.5 लाख तक की साड़ी खरीदने से परहेज नहीं कर रही हैं।

पिछले दो सालों में पकड़ी रफ्तार
पलटन बाजार के व्यापारियों की मानें तो पिछले दो सालों में सिल्क साडिय़ों के कारोबार में खासा इजाफा देखने को मिला। इनमें स्पेशली सिल्क साडिय़ों का स्थान जॉर्जेट साडिय़ों ने लिया। लेकिन, अब फिर से सिल्क की साडिय़ों ने ट्रेंड पकड़ा है। व्यापारियों के अनुसार महिलाएं सिल्क की साडिय़ों को ऑलटाइम फेवरेट मान रही हैं। इसीलिए इसकी सेल में दोबारा इजाफा देखने को मिला है।

इंडियन कल्चर भी कारण
इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय नारी का परिधान साड़ी ही माना जाता है। जाहिर है कि हर शहर के तर्ज पर भी दून में भी साड़ी की डिमांड हमेशा बरकरार रही है। इसके लिए एक नहीं, शहर में दर्जनों साडिय़ों की मार्केट आपको आसानी से मिल जाएंगी।

विश्व साड़ी दिवस पर एक नजर
माना जाता है कि विश्व साड़ी दिवस की शुरुआत 2009 में सामाजिक कार्यकर्ता और उद्यमी नलिनी शेखर ने की थी। उनका लक्ष्य था कि पारंपरिक पोशाक को संरक्षित किया जा सके और इसे दुनियाभर में प्रसिद्ध करने में मदद मिल सके। ये भी माना जाता है इस दिवस को मना कर साड़ी उत्पादन में लगे बुनकरों को भी सम्मान दिया सके।

ये साड़ी है प्रचलित
कांजीवरम एक तरह की सिल्क साड़ी है यानी एक खास तरह के रेशम के धागों से बुनी साड़ी। इसे कांजीवरम साड़ी इसलिए कहते हैं, क्योंकि यह तमिलनाडु के कांचीपुरम में बनती है। तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश समेत भारत के तमाम हिस्सों में विवाह से लेकर विशेष अवसरों पर कांजीवरम साडिय़ां पहनने का रिवाज है। ऐसे ही उत्तर भारत में बनारसी रेशम साड़ी प्रचलित है।

ये है साड़ी की वैरायटी
कांजीवरम सिल्क
बनारसी सिल्क
बैंगलोर सिल्क
जीमी चु साड़ी
ऑर्गेंजा
जॉर्जेट व शिफोन
साउथ सिल्क
पोजमपल्ली
धर्मावरण
भागलपुरी सिल्क
इमीटेशन सिल्क

नवरात्र से बढ़ती है डिमांड
पलटन बाजार के साड़ी कारोबारियों की मानें तो साडिय़ों की डिमांड नवरात्र से शुरू हो जाती है, जो दिसंबर आखिरी तक मौजूद रहती है।

हर ओकेजन पर है ट्रेडिंग
-हल्दी के लिए येलो साड़ी
-मेहंदी के लिए ग्रीन साड़ी
-रिशेप्सन या फंक्शन में जरकन, प्योर सिल्क या बनारसी
-फेयरवेल पार्टी के लिए प्लेन साड़ी विद बॉर्डर

दून के फेवरेट मार्केट
-पलटन बाजार
-रामा मार्केट
-गढ़ी कैंट डाकरा
-राजपुर रोड
-चकराता रोड
-धर्मपुर


अब लोग सूट व फैंसी ड्रेस की अपेक्षा साड़ी की डिमांड ज्यादा कर रहे हैं। इनमें भी सिल्क साड़ी की डिमांड में ग्रोथ देखी जा रही है। जो हर ओकेजन में पहनने के लिए महिलाएं खरीद रही हैं। स्पेशल फेस्टिव सीजन में साडिय़ों की डिमांड में अचानक बढ़ोत्तरी दर्ज की जाती है।
चरनप्रीत सिंह, साड़ी व्यापारी, रामा मार्केट

हर साल लगातार साड़ी की डिमांड बढ़ती जा रही है। यहां तक कि गिफ्ट में देने के लिए भी अब लोग साड़ी को प्रेफर कर रहे हैं। इसके अलावा फेयरवेल पार्टी के लिए भी प्लेन बॉर्डर सिल्क साड़ी की डिमांड गल्र्स में सबसे ज्यादा है।
राहुल कुमार, साड़ी व्यापारी, पलटन बाजार

Posted By: Inextlive