देहरादून उत्तराखंड में राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले हरीश रावत ने भले ही दावा किया था कि उनकी सरकार उनके ही नेतृत्व में दोबारा बनेगी लेकिन सीएम बनना तो दूर वह विधायक तक नहीं बन पाए। उत्तराखंड के इतिहास में ये पहला मौका था जब किसी सीएम ने दो-दो सीट से चुनाव लड़ा और एक सीट भी नहीं जीत पाया। सीएम के चुनाव हारने का ये सूबे में दूसरा उदाहरण है। हरीश रावत से पहले मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी कोटद्वार से चुनाव हारे थे। हालांकि खंडूरी के चुनाव हारने के दूसरे कारण थे लेकिन हरीश रावत के दो-दो सीटों से चुनाव हारने की वजह अलहदा है। हरीश रावत की हार के 10 बड़े कारण बता रहे हैं देहरादून में दैनिक जागरण आईनेक्सट के संपादकीय प्रभारी अजय धौंडियाल।
By: Inextlive
Updated Date: Sat, 11 Mar 2017 06:23 PM (IST)
1 . एकला चलो की नीति ने रावत को स्वयंभू घोषित कर डाला।
3 । अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए अपनी ही पार्टी के दूसरे कद्दावर नेताओं को ठिकाने लगाया।
5 । पलायन की बात कहकर खुद राजनीतिक पलायन कर डाला।
7 . गैरसैंण राजधानी की बात बार-बार कही, लेकिन आखिरी वक्त तक फैसला नहीं किया।
9 . मुश्किल में हमेशा सरकार का साथ देने वाले पीडीएफ को न संगठन से बचा पाए और न आखिरी मौके तक उसका साथ दे पाए।
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