सर्दियों की शुरुआत और मौसमी बदलाव के चलते वायरल इन्फेक्शंस फीवर के केस बढ़ रहे हैैं. बात करें दून के हॉस्पिटल्स की तो डॉक्टर्स का कहना है कि इस समय ओपीडी में करीब 40-50 परसेंट पेशेंट्स वायरल फीवर के आ रहे हैं.

देहरादून, ब्यूरो: सर्दियों की शुरुआत और मौसमी बदलाव के चलते वायरल इन्फेक्शंस, फीवर के केस बढ़ रहे हैैं। बात करें दून के हॉस्पिटल्स की तो डॉक्टर्स का कहना है कि इस समय ओपीडी में करीब 40-50 परसेंट पेशेंट्स वायरल फीवर के आ रहे हैं। यह इन्फेक्शन आमतौर पर 3-4 दिनों तक रहता है और दवाइयों से ठीक हो जाता है। लेकिन, डॉक्टरों का कहना है कि दवाइयों का डोज पूरा करना बहुत जरूरी है ताकि वायरस या बैक्टीरिया को पूरी तरह से खत्म किया जा सके। लेकिन कई लोग खासकर गर्मी-ठंड में, खुद से दवाइयां ले लेते हैं जैसे पेनकिलर, एंटीबायोटिक्स, या कफ की दवाई और यह उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है, खासकर जब इन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के लिया जाता है।

क्या है ओवर-द-काउंटर दवा
ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) दवाइयां वे होती हैं, जो डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बिना सीधे मेडिकल शॉप से खरीदी जाती हैं। इनमें बुखार, खांसी की दवाई, पेनकिलर समेत कई सारी प्रॉब्लम्स के लिए दवायें शामिल होती हैं। ये आसानी से मिल जाती हैं, इसकी वजह से लोग बिना सोचे-समझे इन्हें इस्तेमाल कर लेते हैं।
अनसेफ हैैं ये दवाएं और ओवरडोज
ओवर द काउंटर दवा या इनका ओवरडोज लेना खतरनाक हो सकता है। बिना डॉक्टर की सलाह के दवा लेने से एलर्जी, पेट में जलन, वॉमिटिंग या लूज मोशन लग सकते हैैं। एंटीबायोटिक दवाओं के गलत इस्तेमाल से बॉडी ऑर्गंस पर नेगेटिव इम्पेक्ट पड़ सकता है जैसे लिवर, किडनी और हार्ट पर असर।
हो सकती है ये दिक्कत
- पेट में जलन
- वॉमिटिंग
- लूज मोशन
- अदर एलर्जी
ज्यादा एंटीबायोटिक नुकसानदायक
जब हम बार-बार एंटीबायोटिक लेते हैं तो शरीर में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस पैदा हो जाता है। इसका मतलब है कि अगर हमें फिर कभी कोई गंभीर इन्फेक्शन होता है, तो वही दवाइयां असर नहीं करेंगी। हेल्थ एक्सपट्र्स कहते हैं कि बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक या कोई भी दवाई लेना गलत है, क्योंकि इससे रेजिस्टेंस बढ़ता है और दवाइयां बेअसर हो जाती हैं।
डॉक्टर की सलाह बहुत जरूरी
डॉक्टर्स बताते हैं कि आमतौर पर लोग ये सोचकर खुद से दवाइयां ले लेते हैं कि उन्हें आराम मिल जाएगा। बहुत से घरों में बुखार या पेनकिलर पहले से मौजूद होते हैैं और लोग उन्हें बिना डॉक्टर्स से कंसल्ट किए ले लेते हैं। यह आदत धीरे-धीरे बॉडी को नुकसान पहुंचा सकती है, क्योंकि यह दवाइयां हर किसी के बॉडी को सूट नहीं करती हैं। कभी-कभी, यह एलर्जी का कारण बन सकती है और लॉन्ग टाइम में लिवर या किडनी पर बुरा असर डाल सकती है।
बच्चों का रखें खास ध्यान
बच्चों को किसी भी तरह की दवाई देने से पहले खास तौर पर ध्यान देना होता है। डॉक्टर्स बताते हैं कि अगर बच्चों को बुखार या सर्दी-खांसी हो तो यह उन्हें इन्फेक्शन होने का इशारा है। बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, इसलिए बीमारी जल्दी बढ़ सकती है। बिना डॉक्टर से पूछे बच्चों को कोई भी दवा देना गलत हो सकता है। उनके केस में जो दवाइयां दी जाती हैं उसमें इस बात का खास ख्याल रखना होता है कि वो उनके बॉडी वेट के हिसाब से दी जाये, इसलिए बिना सही जानकारी के उन्हें दवाइयां देना खतरनाक हो सकता है। अगर लापरवाही की जाती है तो ये नॉर्मल बुखार, निमोनिया या ब्रोंकाइटिस में बदल सकता है। इसलिए बच्चों को किसी भी तरह की दवाई देने से पहले डॉक्टर्स की कन्सलटेंसी जरूरी होती है।
बिना कंस्लटेशन मेडिसिन ठीक नहीं
जो लोग रेगुलर बिना इनफार्मेशन और डॉक्टर से कंसल्ट किये बिना मेडिसिन लेते है इसका सीधा असर उनके बॉडी ऑर्गन्स पर होते है और कई बार एक छोटी सी प्रॉब्लम भी गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। कई बार दवाइयां बॉडी को सूट नहीं करती है और एलर्जी का खतरा होता है।
डॉ। कुमार जी कॉल, एसो। प्रोफेसर, दून हॉस्पिटल
किसी भी बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए दवाइयों का डोज पूरा करना जरूरी होता है और अक्सर देखा जाता है की लोग अपने अकॉर्डिंग ही 1-2 दिन तक दवा लेते हैं और समझते हैं कि बीमारी सही हो गई है। ऐसे केस में उनके अंदर इन्फेक्शन रह जाता है और ये बॉडी के लिए हार्मफुल है।
डॉ। अंबरीश दीक्षित, फिजिशियन, दीक्षित क्लीनिक

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Posted By: Inextlive