Dehradun News: नियो मेट्रो पर दिए दो ऑप्शन, एक पर मिलेगी जल्द मंजूरी
देहरादून,(ब्यूरो): पिछले सात साल की मशक्कत के बाद भी दून मेट्रो का सपना पूरा नहीं हो पाया। अब एक बार नियो मेट्रो ने उम्मीद जगाई है। मेट्रो रेल परियोजना ने नियो मेट्रो चलाने को लेकर दो प्रस्ताव तैयार किए हैं। इन दो में से कौन सा विकल्प जनहित में उचित रहेगा, इस पर विचार-विमर्श होगा। सूत्रों के मुताबिक यह चीफ सेक्रेटरी की बैठक में फाइनल होगा कि कौन सा प्रस्ताव चूज किया जाना है। सरकारी सूत्रों की मानें तो जल्द ही इस संबंध में हाईपावर कमेटी की बैठक बुलाई जा सकती है। इसके बाद नियो मेट्रो परियोजना की बात आगे बढ़ेगी। इस परियोजना पर करीब 23 करोड़ खर्च होने का अनुमान है।
हाईपावर कमेटी लेगी निर्णय
शहरी विकास मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि जनहित के काम नहीं रोके जाएंगे। शहर में ट्रैफिक का दबाव लगातार बढ़ रहा है। मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की डीपीआर केंद्र सरकार के पास पहले से है। इस पर निर्णय न लिए जाने से प्रोजेक्ट पर काम नहीं हो पाया। अब सरकार नियो मेटो्र पर आगे बढ़ रही है। इसके लिए दो प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। पहला राज्य सरकार अपने संसाधनों से बनाएगी और दूसरा पीपीपी मोड में बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया। चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में हाई पावर कमेटी दोनों प्रस्तावों पर मंथन कर किसी एक पर निर्णय लेगी। इसके बाद प्रोजेक्ट पर काम तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा।
पिछले जुलाई में सीएम पुष्कर सिंह धामी को मुलाकात के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भरोसा भी दिलाया था, जिसके बाद दूनाइट््स में मेट्रो को लेकर नई आस जगी थी, लेकिन ज्यों-ज्यों मुलाकात के दिन बढ़ते गए त्यों-त्यों सपना चकनाचूर होता चला जा रहा है। मेट्रो की डीपीआर वर्षों से केंद्र सरकार के पास धूल फांक रही है। अब राज्य सरकार मेट्रो के दूसरे विकल्पों पर हाथ-पांव मार रही है। ऐसे बदलते रहे प्रोजेक्ट
1. मेट्रो
2. एलआरटी ट्रेन
3. नियो मेट्रो
4. केबल मेट्रो
5. रबर टायर मेट्रो
6. पॉड टैक्सी क्या है नियो मेट्रो
मेट्रो-नियो रेल ट्रैक के बजाय सड़क पर ऊर्जा ओवरहेड वायर्स से चलती है। इसे इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि यह तीव्र ढाल में भी आसानी से चलाई जा सकती है। भविष्य में ट्रैफिक डिमांड के अनुसार सिस्टम को इंक्रीमेंटल कॉस्ट इनपुट के साथ लाइट मेट्रो में अपग्रेड किया जा सकता है।
40 करोड़ अब तक खर्च
यूकेएमआरसी अब तक मेट्रो ट्रेन के नाम पर अब तक 40 करोड़ का बजट खर्च कर चुका है। इस हिसाब सालाना औसतन 5 से 6 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। मेट्रो का कहीं अता-पता नहीं है और रेल कॉरपोरेशन भारी भरकम स्टाफ पर हर साल 1 करोड़ से अधिक खर्च कर रहा है। अफसर और मंत्री हर साल मेट्रो टे्रन के नाम पर विदेशों का दौरा कर रहे हैं। सवाल यह है कि एक तरफ फिजूखर्ची दूसरी तरफ मेट्रो का काम शून्य है।
मेट्रो टे्रन प्रोजेक्ट फेल होता देख यूकेएमआरसी ने पॉड टैक्सी पर भी कदम आगे बढ़ाया है। दिल्ली की एक कंपनी को पॉड टैक्सी के ड्रोन सर्वे का काम सौंपा गया। यूकेएमआरसी के अफसरों ने बताया कि सर्वे पूरा हो गया है। इसकी डीपीआर तैयार की जा रही है।
मेट्रो पर अब तक की कार्रवाई
-वर्ष 2017 में सबसे पहले दून में मेट्रो ट्रेन का सपना देखा गया।
-इसके बाद मेट्रोमैन श्रीधरन को मार्गदर्शन के लिए उत्तराखंड को सलाहकार बनाने का प्रस्ताव आया
-मेट्रो के बाद केबल कार यानि रोपवे का प्रोजेक्ट आया
-2018 में शहरी विकास मंत्री की अध्यक्षता में लंदन, जर्मनी का दौरान किया गया।
-नियो मेट्रो का प्रोजेक्ट तैयार किया। इसके लिए ऋषिकेश-हरिद्वार को मेट्रोपोलिटिन एरिया किया घोषित।
-यूकेएमआरसी के एमडी ने 2022 सितंबर में इस्तीफा दिया, लेकिन सरकार ने इस्तीफा नामंजूर किया।
- 30 जुलाई 2023 को सीएम के अनुरोध पर पीएम के भरोसे से जगी थी आस
- अब नियो मेट्रो पर काम शुरू, हाईपावर कमेटी के निर्णय के बाद लिया जाएगा अंतिम निर्णय
प्रेम चंद अग्रवाल, मंत्री, शहरी विकास dehradun@inext.co.in