वीआईपी रूट तहसील चौक पंचायती मंदिर चौक के अलावा एकाध चौराहों को छोड़ दें तो आजकल दून के चौक-चौराहे बिन ट्रैफिक लाइट के हैं। पीक टाइम हो या फिर आम समय जब भी इन चौराहों पर नजर दौड़ाएं आपको आड़े-तिरछे वाहन दौड़ते हुए नजर आ जाएंगे। न ट्रैफिक पुलिस और न स्मार्ट सिटी को इसकी परवाह है। यही कारण है कि कुछ चौराहों पर तो पुलिस और ट्रैफिक लाइट न होने के कारण लोग सीधे अपने वाहनों के साथ सरपट दौड़ रहे हैं। जिससे एक्सीडेंट का भी खतरा बन रहा है।

देहरादून (ब्यूरो)।
सैटरडे को दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने दून के कुछ प्रमुख चौराहों को अपराह्न पौने चार बजे विजिट किया। शुरुआत सहारनपुर चौक से हुई। उसके बाद टीम प्रिंस चौक, तहसील चौक, पंचायती मंदिर चौक से होते हुए तिब्बती मार्केट चौक, कनक चौक, सर्वे चौक, बहल चौक, कांग्रेस भवन चौक, घंटाघर चौक से वापस होते हुए दून हॉस्पिटल चौक तक पहुंची। मालूम चला कि इन चौक में से केवल तहसील चौक, पंचायती मंदिर चौक, घंटाघर चौक, बहल चौक, गांधी पार्क चौक और घंटाघर चौक पर ही प्रॉपर स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल लाइट देखी गई। बाकी चौक पर वही पुराना हाल नजर आया। दून के करीब 60 परसेंट चौराहों पर ट्रैफिक लाइट आउट ऑफ ट्रैक हैं, जबकि केवल 40 परसेंट चौराहों पर ही ट्रैफिक लाइटें काम कर रही हैं।

वायर कट जाने का बहाना
इस बारे में पहले ही देहरादून स्मार्ट सिटी के अधिकारी स्पष्ट कर चुके हैं कि ट्रैफिक लाइटें खराब होने की बड़ी वजह सड़कों पर होने वाले कंस्ट्रक्शन वर्क के कारण अंडर ग्राउंड केबिल डिसकनेक्ट हो जाना है। जिसके लिए स्मार्ट सिटी की ओर से सर्वे भी कराया गया है। वहीं, ट्रैफिक पुलिस कह रही है कि ट्रैफिक लाइटों को सुधारने के लिए स्मार्ट सिटी को जानकारी दे दी गई है। कब ट्रैफिक सिग्नल लाइटें सुधरेंगी, कहा नहीं जा सकता है। लेकिन, दून की ट्रैफिक लाइटों की ये समस्या कोई एक-दो दिन की नहीं है। बल्कि, करीब 15 दिन से ज्यादा का वक्त हो गया है। अधिकतर चौराहों पर विदआउट ट्रैफिक पुलिस व सिग्नल लाइटों की वजह से वाहन बेतरतीब दौड़ रहे हैं।

रोज देंगे ट्रैफिक लाइटों की जानकारी
राजधानी दून में ट्रैफिक सिग्नल का क्या हाल है, हम आपको ऐसी जानकारी देते रहेंगे। हमारा मकसद स्मार्ट सिटी की स्मार्ट ट्रैफिक लाइट्स में सुधार होना है। जिससे आम लोगों को ट्रैफिक की अव्यवस्था का शिकार न होना पड़े। ये सच है कि तकनीकी तौर पर ट्रैफिक लाइटों में दिक्कतें आ रही हों, तो उसमें अतिशीघ्र सुधार लाया जा सकता है। लेकिन, अब इसको विभागों के बीच तालमेल का अभाव कहें या फिर नजरअंदाजी। लंबा वक्त बीत चुका है, जिम्मेदार विभाग ट्रैफिक लाइट्स को सुधारने के लिए प्रयास करते नहीं दिख रहे।

Posted By: Inextlive