सड़कों के मरम्मत को तत्काल चाहिए रु. 132 करोड़
-आपदा से क्षतिग्रस्त करीब 2 हजार सड़कों को दुरुस्त करना चुनौती
- सड़कें टूटने से करीब 4 लाख लोग प्रभावित
- कई गांव-शहरों का कटा संपर्क, आवाजाही ठप
गढ़वाल में 1329 सड़कें क्षतिग्रस्त
उत्तराखंड में मौसम जाते-जाते रौद्र रूप धारण कर रहा है। बारिश, भूस्खलन, अतिवृष्टि और बाढ़ से सबसे अधिक नुकसान हुआ है। कुमाऊं से ज्यादा गढ़वाल क्षेत्र की सड़कें क्षतिग्रस्त हुई हैं। दो हजार में से 1329 सड़कें गढ़वाल की है।
ग्रामीण सड़कों का हाल बुरा
सबसे खराब हाल राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों का है। इस मानसून में अभी तक पीडब्ल्यूडी 1315 ग्रामीण, जिला और स्टेट रोड जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हैं। इन सड़कों को अस्थाई तौर परमरम्मत के लिए 13243 लाख रुपये से अधिक की धनराशि की जरूरत होगी। पीडब्ल्यूडी इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर रहा है। ये धनराशि अभी अनुमानित बताई जा रही, जो एस्टीमेट में घट-बढ़ सकती है।
278 मशीनें कर रहीं काम
बारिश से क्षतिग्रस्त सड़कों को खोलने के लिए 278 जेसीबी मशीनें ग्राउंड पर काम कर रही हैं। रविवार को 91 सड़कें खोली गईं। शुक्रवार तक 318 सड़कें बंद थी। शनिवार तक 409 सड़कें बंद थी। रविवार को तेजी से सड़कों को खोलने का काम शरू हुआ और 274 सड़कों को अस्थाई तौर पर यातायात के लिए खोल दिया गया।
विभाग का नाम बजट
पीडब्ल्यूडी 87.4
नेशनल हाईवे 5.37
पीएमजीएसवाई 39.64
कुल 132. 43
(धनराशि करोड़ में)
इन मुख्य मार्गों की हालत बेहद खराब
- देहरादून सौड़ा सरौली-थानो मोटरमार्ग पर पुल क्षतिग्रस्त होने से बंद
- उत्तरकाशी-लंबगांव-मोटणा-टिहरी मोअर मार्ग, जौनपुर में वीडीएस मोटर मार्ग, एनएच-94 नरेंद्रनगर में पहाड़ी दरकने से बुरी तरह ध्वस्त
- रुद्रप्रयाग-पोखरी-गोपेश्वर मार्ग, कर्णप्रयाग-धारडुंगी, मैखरी-कांडा मार्ग
- मक्कूल-पल्द्वाड़ी-परकंडी, मार्ग, थलीसैंण-चौरीखाल मार्ग, कर्णप्रयाग-पैठाणी मार्ग
- कुमाऊं में रामनगर-अमरगडी मार्ग, बोहराकोट-ओखलढूंगा मार्ग, भुजान-विशालकोट- विल्लेख मोटर मार्ग
- खुटानी-भवाली- धानाचूली-पतलोट मोटर मार्ग
जोन बंद सड़कें
पौड़ी 940
देहरादून 134
अल्मोड़ा 325
हल्द्वानी 48
------------------- बारिश से प्रदेश की सड़कों को भारी नुकसान पहुंचा है। कई सड़कें भूस्खलन से बुरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। भूस्खलन जोन में मशीनें तैनात हैं। सड़कों को अस्थाई तौर पर तत्काल खोलने का काम दिन-रात चल रहा है। शासन से बजट की मांग की है।
अयाज अहमद, प्रमुख अभियंता, पीडब्ल्यूडी, उत्तराखंड