Dehradun News: समाज में पॉजिटिव चेंज के लिए समर्पित हैैं दून के युवा
देहरादून,(ब्यूरो): हर साल 12 अगस्त को इंटरनेशनल यूथ डे सेलिब्रेट किया जाता है, इसका मकसद है जो युवा समाज के लिए कुछ बेहतर कर रहे हैैं, उन्हें एप्रिसिएट करना और दूसरे युवाओं को भी देश और समाज की बेहतरी के लिए आगे आने के लिए प्रेरित करना। दून में कुछ युवा संगठित होकर एन्वायरमेंट कंजर्वेशन में जुटे हैैं। एनजीओ के माध्यम से एन्वायरमेंट और सोसायटी में पॉजिटिव बदलाव लाने के लिए प्रयास कर रहे हैैं। खास बात यह है कि ये युवा स्कूल या कॉलेज के स्टूडेंट्स हैं, जो दून की खूबसूरती को बरकरार रखने के लिए प्रयासरत हैं। 5-10 लोगों से शुरू हुआ ये कारवां आज एक बड़ा परिवार बन गया है, जो मिलकर नदियों को बचाने, पेड़ लगाने और शहर को स्वच्छ बनाने के मिशन पर है।मेकिंग ए डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड)
पिछले 13 सालों से मेकिंग ए डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड ) संस्था में वर्तमान में 50-60 एक्टिव मेंबर्स हैं, जो स्कूल-कॉलेज के स्टूडेंट्स हैं। ये लोग अपने करियर के साथ-साथ सोसाइटी में बदलाव के लिए काम कर रहे हैं। पिछले 13 सालों में करीब 3000 लोग मैड के साथ काम कर चुके हैं। ये लोग एन्वॉयरमेंट प्रोटेक्शन और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए काम कर रहे हैं। मैड संस्था की शुरुआत अभिजय ने 17 साल की उम्र में एक्टिविस्ट ग्रुप मैड के फाउंडर प्रेसिडेंट के रूप में काम करना जारी किया था, जिनमें सिटिजन अवेयरनेस, क्लीलीनेस और एन्वॉयरमेंट प्रोटेक्शन को प्रमोट किया जा रहा है। अब ये ग्रुप एक रजिस्टर्ड एनजीओ है।केदारनाथ आपदा में भी रहे एक्टिवसाल 2013 में केदारनाथ की आपदा के समय मैड के वॉलंटियर्स ने रिलीफ आइटम भेजने और सपोर्ट करने का काम किया। एमएडी के मेंबर करण बताते हैं कि इस दौरान उन्हें न सिर्फ लोगों की मदद करने का मौका मिला, बल्कि हकीकत से रूबरू होने का भी। उन्होंने महसूस किया कि बड़ी कंपनी में जॉब करना ही सबकुछ नहीं होता, असली सुकून फील्ड में उतरकर काम करने में है।फ्यूचर के लिए आज संभलना जरूरी
मैड संस्था के मेंबर्स का मानना है कि दून एक इको-सेंसिटिव जोन है, जहां किसी भी समय आपदा आ सकती है। इसलिए रिस्पना नदी को सेफ रखना हो या पेड़ों की कटाई रोकनी हो, इस एनजीओ से जुड़े युवा हर काम में सक्रिय रहते हैं। वे बताते हैं कि दून की नदियां दिन-ब-दिन प्रदूषित हो रही हैं और इन नदियों का पानी ही हर घर में सप्लाई होता है। अगर इन्हें नहीं बचाया गया तो आने वाले सालों में इसका खामियाजा हम सबको भुगतना पड़ेगा।पराशक्ति सोसाइटीपराशक्ति सोसाइटी एक एनजीओ है जिसमें दून के युवा पिछले तीन सालों से एन्वॉयरमेंट को प्रोटेक्ट करने का काम कर रहे हैं। इस एनजीओ से जुड़े युवा क्लीनिंग, क्लोथ डिस्ट्रीब्यूशन और खास तौर पर प्लांटेशन कैंपेन पर फोकस करते हैं। पराशक्ति को दून को हरा-भरा बनाने और शहर में लगभग 2,000 पौधे लगाने के लिए सम्मान भी मिल चुका है।नेचर को प्रोटेक्ट करना है संकल्पपराशक्ति सोसायटी की फाउंडर, जोना कुकरेजा ने 12वीं क्लास में ही इस एनजीओ की शुरुआत की थी, और धीरे-धीरे कई युवा इस पहल से जुड़ गए। अब ये सब मिलकर सोशल वर्क और एन्वॉयरमेंट प्रोटेक्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, चाहे वो सफाई हो या लोगों की मदद करना, हर काम में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। पराशक्ति से जुड़े युवाओं की छोटी-छोटी कोशिशें आज बड़ा बदलाव ला रही हैं, ताकि वे मिलकर दून की हसीन वादियों को बचा सकें। कोरोना काल में भी, जब ज्यादातर लोग घर में रहकर सोशल मीडिया पर समय बिता रहे थे, पराशक्ति के युवाओं ने मिलकर नेचर को प्रोटेक्ट करने का संकल्प लिया और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर लोगों में अवेयरनेस लाने का काम किया।
आगाज यूथ क्लबजब भी कोई युवा खुद से आगे बढ़कर सोसाइटी को बेहतर बनाने और एन्वाइरोमेंट को प्रोटेक्ट करने के लिए काम करता है, तो वह अपने फ्यूचर को भी बेहतर बना रहा होता है। इससे हम लीडरशिप क्वालिटी और लोगों के बीच अपने पॉइंट रखने की हिम्मत जैसे स्किल्स डेवलप करते हैं।करण, मैड संस्थाहम कई सालों से देहरादून की नदियों और जंगलों को बचाने के लिए काम कर रहे हैं, ताकि शहर की खूबसूरती और प्राकृतिक विरासत बनी रहे। हमारा मकसद दून को एक सेफ सिटी बनाना है। हम युथ ही हैं जो समाज में बदलाव ला सकते हैं, क्योंकि हम इस देश का भविष्य हैं।आर्ची, मैड संस्थाअगर हम ठान लें, तो मिलकर सोसाइटी में पॉजिटिव चेंज ला सकते हैं। कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता। हमारा फ्यूचर कैसा होगा, ये फैसला हर युवा के हाथ में है। अगर आज हम इस पर ध्यान नहीं देंगे, तो इसका नुकसान हमें ही भुगतना पड़ेगा। इसलिए हम बदलाव लाने में जुटे हैं।जौना कुकरेजा, पाराशक्ति सोसाइटीमैं पिछले 3 सालों से टीम पराशक्ति के साथ हूं। इन दिनों में मैंने देखा कि हमारे लिए सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करना, ऑनलाइन क्लास छोडऩा और पूरा दिन घूमते रहना आसान होता, लेकिन हमने एक अलग शेड्यूल चुना। जब हम काम करने लगे, तो पता चला कि हम सबका मकसद एक ही है-दून को बचाए रखना।शिल्पी, पराशक्ति सोसाइटीहम थिएटर आर्ट के जरिए लोगों को जागरूक करते हैं। मकसद है कि लोग समझें कि अगर आज हम कुछ गलत कर रहे हैं, तो उसका खामियाजा हमें ही भुगतना पड़ेगा। इसके लिए हम हर हफ्ते आउटडोर सेशन करते हैं, जिसमें हेल्थ से जुड़ी एक्टिविटी होती है, चाहे वो कोई गेम हो या दूसरी एक्टिविटी।हैरी, फाउंडर, आगाज यूथ क्लबसमाज में बदलाव लाने के लिए, सबसे पहले एक अच्छी प्लानिंग की जरूरत होती हैं। आगाज यूथ क्लब किसी काम को करने के बाद आपस में बैठकर उसका रिव्यू करता हैै। इससे न सिर्फ काम बेहतर होता है बल्कि, यही वजह है कि एकजुटता बनी रहती है और समाज के प्रति जिम्मेदारी का एहसास होता है।प्रिया जायसवाल, आगाज यूथ क्लब
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अपने हक के लिए लड़ाई लडऩा और अपनी बात मनवाने के लिए लोग अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। लेकिन दून का एक यूथ क्लब आगाज दूसरों की भलाई के लिए काम कर रहा है। आगाज के युवा मानते हैं कि सोसाइटी में बदलाव लाने के लिए हिंसा का रास्ता अपनाना जरूरी नहीं है। यह क्लब संविधान के मूल्यों को मानते हुए काम करता है और एन्वॉयरमेंट के अलावा कास्ट, जेंडर और सोसाइटी से जुड़े अहम मुद्दों पर काम करता है।नुक्कड़ नाटकों से अवेयरनेससंस्था के काम करने का तरीका थोड़ा अलग है, ये नुक्कड़ नाटक और अवेयरनेस कैंपेन के जरिए लोगों को जागरूक करते हैं, साथ ही हर हफ्ते हेल्थ और स्पोर्ट्स से जुड़ी एक्टिविटीज भी कराते हैं, जिसमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। आगा? की टीम का मानना है कि युथ होने का ये फायदा है कि हम अपने तरीके से सोसाइटी में चेंज ला सकते हैं। आगा? ने दून की बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए क्लोथ डिस्ट्रीब्यूशन ड्राइव, और बर्ड प्रोटेक्शन के लिए नेस्ट लगाने और सेव ट्री कैंपेन जैसे कई काम किए हैं, जिसमें दून के युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है।क्या कहते हैैं वॉलिंटियर यूथ