Dehradun News: हमलावर लैपर्ड के मूवमेंट का पता तो चला, लेकिन पकड़ से बाहर
देहरादून (ब्यूरो) दून के शुक्लापुर इलाके में युवक पर लैपर्ड के हमले को करीब 36 घंटे से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। लेकिन, वन विभाग के पास सिवाय लैपर्ड के मूवमेंट के कुछ हाथ नहीं लगा है। बताया जा रहा है कि जिस इलाके में लैपर्ड ने युवक पर रात में हमला बोला, वहां जंगल का बड़ा एरिया है। वन विभाग के मुताबिक प्रेमनगर टी-स्टेट से लेकर शुक्लापुर के गुर्जरों वाली बस्ती तक कई किमी में क्षेत्र फैला हुआ है। लिहाजा, लैपर्ड पिंजरें तक नहीं पहुंच पा रहा है। हालांकि, फिलहाल जिस इलाके में लैपर्ड ने हमला बोला, उसके आस-पास पिंजरा लगाया गया है। लेकिन, बताया जा रहा है कि विभाग अब एक और पिंजरा लगाने की तैयारी कर रहा है। जबकि, दो ट्रैप कैमरे पहले ही विभाग ने इलाके में इंस्टॉल किए हुए हैं। जिनके जरिए रात में लैपर्ड के मूवमेंट का पता चला पाया है। ऐसे में विभाग की टीम ने रात में भी इलाके में गश्त बढ़ा दी है। इस बारे में जब डीएफओ दून नीरज शर्मा से बात करने की कोशिश की गई। उन्होंने फोन उठाने से परहेज कर दिया।
पिछले 5 महीने में लैपर्ड अटैक
26 दिसंबर को अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी से आगे सिंगली गांव में चार साल के बच्चे को लैपर्ड उठाकर ले गया था। उसका शव घर के पास बरामद हुआ था।
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार आईएमए में भी लैपर्ड की दस्तक देखने को मिली है। जिसके बाद वन विभाग ने इलाके में ट्रैप कैमरे लगा दिए हैं। बताया जा रहा है कि पिछले कई दिनों से फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को आईएमए में लैपर्ड के मूवमेंट को लेकर शिकायत मिल रही थी। जिसके बाद विभाग वहां ट्रैप कैमरे इंस्टॉल कर दिए।
कई इलाके बन गए सेंसिटिव
दून पिछले कुछ समय से लैपर्ड के लिए ज्यादा संवेदनशील बन गया है। लैपर्ड के हमले की कई घटनाएं लगातार सामने आ चुकी हैं। ऐसे में कुछ इलाके तो ज्यादा संवेदनशील कहे जाने लगे हैं। इनमें खासकर सिंगली, कैनाल रोड, राजपुर रोड, सेलाकुई, गलज्वाड़ी, आईटी पार्क, सहस्रधारा जैसे इलाके शामिल हैं। सबसे ज्यादा सिटी के जंगल वाले इलाकों में लैपर्ड का ज्यादा डर बना हुआ है।