मार्केट में कई तरह के ब्यूटी प्रोडक्ट्स देखने को मिल जाते हैैं जो कि केमिकल के बने होते हैं. जो कभी फेस पर रिएक्शन भी कर जाते हैं. लेकिन जानकारों के अनुसार नैचुरल तरीके से बने ब्यूटी प्रोडक्ट्स में ऐसा नहीं होता यही कारण है कि आज धीरे-धीरे लोग नैचुरल और ऑर्गेनिक चीजों की तरफ रुख कर रहे हैं. हालांकि दादी नानी के नुस्खे तो वो पहले ही इस्तेमाल करते थे जो कि काफी असरदार भी माने जाते हैं. ऐसे ही दादी-नानी के नुस्खे से दून के त्यूणी की रहने वाली मेघा महेश्वरी नैचुरल चीजों से मोमबत्ती हेयर कलर क्रीम परफ्यूम बॉडी बटर और खुशबूदार साबुन बनाकर बेच रही हैं. खास बात ये है कि वे अपने प्रोडक्ट्स को नैचुरल तरीके से बनाती हैं और इनमें हिमालय में उगने वाली जड़ी-बूटियां और फूलों का यूज करती हैं.

देहरादून ब्यूरो : दून के परेड ग्राउंड में आयोजित हो रहे उत्तराखंड युवा महोत्सव में मेघा ने स्टॉल लगाया है जहां वे अपने प्रोडक्ट्स को सेल कर रही हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बातचीत के दौरान मेघा ने बताया कि कोरोना काल से पहले वो दिल्ली के एक बड़े होटल में जॉब करती थीं। इस दौरान किचन में काम करते हुए ऑयल और डर्ट की वजह से उनके फेस पर पिंपल्स हो गए थे। जिसके बाद उन्होंने कई जगह इसका इलाज करवाया। यहां तक कि कई बड़े-बड़े डॉक्टर्स को भी दिखाया लेकिन उनके फेस पर कोई असर नहीं हुआ। मेघा को डॉक्टर्स के वहां चक्कर काटता देख उनकी सास ने उन्हें कुछ घरेलु नुस्खे बताए जो काम कर गए।

सास का नुस्खा चल पड़ा


पिंपल्स से परेशान मेघा सास की बात मानकर एक पंसारी की दुकान से वो चीजें ले आई जो उन्हें उनकी सास ने बताया था। वो बताती हैं उन्होंने इसके बाद इसका लेप तैयार किया और चेहरे पर लगाया। उनकी सास का ये नुस्खा चल पड़ा और उनके फेस पर हुए सारे पिंपल्स सही हो गए। यही से उनके दिमाग में आइडिया कि क्यों न इस पर काम किया जाए। इसके बाद उन्होंने इस पर काम शुरू किया और एक छोटा सा फर्म खोला जिसका नाम रखा 'लावण्याÓ। इस नाम से अब वो कई तरह के प्रोडक्टस बेच रही हैं। जिसमें बॉडी बटर, फेयरनेस क्रीम, साबुन, मोम्बत्ती, बॉडी स्क्रब, और कई तरह के परफ्यूम तैयार कर रही हैं। ये सब प्रोडक्ट्स वो दून स्थित अपने घर पर ही बनाती हैं।

गांव से ही जड़ी बूटियां करती हैैं कलेक्ट


मेघा ने बताया कि वे इन प्रोडक्ट्स को पूरी तरह से नैचुरल तरीके से तैयार कर रही हैं। उनके प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होने वाला मेटेरियल वो पहाड़ों से लेकर आती हैं। इसमें उनके गंाव की महिलाएं उनकी मदद करती हैं। ये महिलाएं गांव से ही जड़ी बूटियां कलेक्ट करती हैं और फिर गांव में ही इन्हें प्रोडक्ट्स के अनुसार तैयार किया जाता है। जिसके बाद दून लाकर प्रोडक्ट्स का निर्माण किया जाता है और इसके बाद ये लोगों तक पहुंचता है।

200 से 500 बीच हैं प्रोडक्ट्स के दाम


मेघा का कहना है कि इस काम में उनके साथ लगभग 80 परिवार जुड़े हुए हैं जो इस को प्रोडक्ट्स तैयार करने में उनकी हेल्प करते हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में थोड़ी समस्या जरूर हुई थी। लेकिन बाद में लोगों से अच्छा रिस्पंास मिला और उनके प्रोडक्ट्स को पसंद किया जाने लगा और आलम ये है कि उनके प्रोडक्ट्स को लोग हाथों-हाथ खरीद लेते हैं। उन्होंने बताया कि उनके प्रोडक्ट्स के दाम 200 से 500 बीच हैं।

पीसने के लिए घराट का इस्तेमाल


मेघा ने बताया कि वो अपने प्रोडक्ट्स को पीसने और कूटने के लिए किसी मशीन का यूज नहीं करती। बल्कि इन सब के लिए वे घराट और ओखली और मूसल का इस्तेमाल करती हैं। वो कहती हैं कि ट्रेडिशनल प्रोसेस से नैचुरल प्रोडक्ट्स इसे लेकर वो खासा ध्यान देती हैं। इस समय पर वो कई माध्यमों से अपने प्रोडक्ट्स बेच रही हैं, जिसमें ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन तक शामिल हैं।

बेच रही हैं कई तरह के प्रोडक्ट्स

10 प्रकार के साबुन
21 तरह के मोमबत्ती
16 प्रकार की परफ्यूम
4 तरह का फेस पैक
3 टाइप का हेयर कलर

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Posted By: Inextlive