देहरादून में सरकारी स्कूलों की सूरत जल्द ही बदली-बदली नजर आएगी. जिला प्रशासन की पहल पर स्कूलों के आधुनिकीकरण की तैयारी की जा रही है. डीएम ने उत्कर्ष प्रोजेक्ट धरातल पर उतारने की कवायद तेज कर दी गई है.


देहरादून,(ब्यूरो): देहरादून में सरकारी स्कूलों की सूरत जल्द ही बदली-बदली नजर आएगी। जिला प्रशासन की पहल पर स्कूलों के आधुनिकीकरण की तैयारी की जा रही है। डीएम ने उत्कर्ष प्रोजेक्ट धरातल पर उतारने की कवायद तेज कर दी गई है। इस मद में डीएम पहले ही 1 करोड़ रुपए डाल चुके हैं। डीएम ने कहा कि पैसे की कमी नहीं होने दी जाएगी। उत्कर्ष कार्यक्रम के तहत हर स्कूल में व्हाइट बोर्ड, प्रत्येक क्लास में एलईडी बल्ब व ट्यूब लाइट लगाई जाएगी। स्वच्छ पेयजल के साथ शौचालय के साथ ही आउटडोर व इंडोर खेलों की व्यवस्था के लिए पर्याप्त खेल सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। प्रिंसिपल के संग हुआ गहन मंथन


इसी कड़ी में दून नगर निगम के टाउन हाल में उत्कर्ष कार्यक्रम को लेकर विचार मंथन हुआ। शिक्षा विभाग के सीईओ ने जिले के राजकीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, हाईस्कूल एवं इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्यों की बैठक में कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताया। इस दौरान सीईओ प्रदीप रावत ने कहा कि प्रोजेक्ट उत्कर्ष कार्यक्रम डीएम देहरादून सविन बंसल की ओर से की गई एक सार्थक पहल है। किसी भी कार्यक्रम को धरातल पर उतारना एक महत्वपूर्ण कड़ी है। उत्कर्ष कार्यक्रम के तहत हर विद्यालय में व्हाइट बोर्ड, हर कक्ष में एलईडी बल्ब या ट््यूब लाइट के साथ ही बंदरों से सुरक्षित पानी टैंक होनी चाहिए। साथ ही आउटडोर व इंडोर खेलों की व्यवस्था के लिए पर्याप्त खेल सामग्री उपलब्ध होनी चाहिए। यह बात उन्होंने शनिवार को संवाद से आएगा शिक्षा में सुधार योजना को धरातल पर उतारने के लिए विद्यालय स्तर पर कोई भी कार्य क्रियान्वित करने में विद्यालय प्रमुखों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सीईओ ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता के लिए प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, हाई स्कूल, इंटर और उच्च शिक्षा के बीच संवाद होना जरूरी है। शासकीय विद्यालयों में उच्च योग्यता धारक शिक्षक हैं। उनके साथ ही विद्यालय में आधारभूत ढांचा भी हो तो ये विद्यालय शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्र के रूप कार्य करेंगे। बच्चों को रचनात्मक बनाएंसीईओ ने कहा कि एक शिक्षक के रूप में हमारा ध्यान दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चों के सर्वांगीण विकास की ओर होना चाहिए। शिक्षक की भूमिका विद्यालय की चारदीवारी से बाहर समाज के एक नेता के रूप में भी है। बच्चों में आजकल विशेषकर शहरी क्षेत्र में नशे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इसको रोकने में भी शिक्षक की अहम भूमिका है। शिक्षक को बच्चों की ऊर्जा को रचनात्मक कार्यों की ओर प्रवृत्त करने की दिशा में भी कार्य करना होगा।

छात्रों की रुचि को न करें अनदेखा

जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक भुवनेश्वर प्रयास जदली ने कहा कि प्रधानाचार्य विद्यालय का अकादमिक और प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्य करता है। उसे विद्यालय में निष्पक्षता के साथ हर निर्णय लेना चाहिए। इस अवसर पर बड्डी काउंसङ्क्षलग क्लब के चीफ एग्जीक्यूटिव अधिकारी ने कहा कि बदलते समय में विद्यार्थियों को पहले से ही गाइडेंस और काउंसङ्क्षलग के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। कई बार बच्चों की रुचि को अनदेखा करते हुए अभिभावक बच्चों के करियर का चयन करते हैं, जो उन्हें संतुष्टि नहीं दे पाता है। सर्वांगीण विकास के लिए करें प्रेरित माध्यमिक स्तर पर बच्चों की रचनात्मक क्षमता व बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कविता, गद्यांश लेखन, चित्रकला आदि पर आधारित प्रतियोगिता की जाती है। इसमें बच्चों को पुरस्कार दिए जाने की भी व्यवस्था है। इस अवसर पर खंड शिक्षा अधिकारी विकासनगर विनीता रानी कठैत, खंड शिक्षा अधिकारी डोईवाला धनवीर ङ्क्षसह बिष्ट, खंड शिक्षा अधिकारी रायपुर पीएल भारती आदि मौजूद रहे।उत्कर्ष कार्यक्रम के मुख्य बिंदु - उत्कर्ष कार्यक्रम के तहत स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़ा जाएगा।- बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जिला प्रशासन ने चलाया उत्कर्ष कार्यक्रम।
- जिले के अंतिम विद्यालय भी अब व्हाइट बोर्ड, एलईडी बल्ब, ट्यूब लाइट, फर्नीचर की सुविधा दी जाएगी।- डेडलाइन भी तय, दिसंबर तक सुविधाओं से लैस हो जाएंगे सभी सरकारी विद्यालय - डीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर सीईओ ने प्रधानाचार्यों से साझा किए योजना के मुख्य बिंदु- जनपद के हर विद्यालय में व्हाइट बोर्ड पर पढ़ाई कराएंगे शिक्षक - विद्यालयों में पीने के पानी की टंकी बंदरों से सुरक्षित रखने के दिए गए निर्देशस्कूल टाइम में बदलाव की तैयारीसरकारी माध्यमिक विद्यालयों में एक अप्रैल से 30 सितंबर तक सुबह 7.45 से दोपहर एक बजे तक पढ़ाई होती है। जबकि एक अक्टूबर से 31 मार्च तक सुबह 9.15 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक का समय निर्धारित है। नये प्रस्ताव में पूरे शाल विद्यालय में कक्षाएं साढ़े छह घंटे से अधिक संचालित करने की सिफारिश कर गई है। एनईपी के तहत हर कक्षा के लिए 40 क्रेडिट देने व 1200 घंटे की पढ़ाई का समय निर्धारित है। वर्तमान में एक दिन में औसतन पांच घंटे और एक शैक्षिक सत्र में औसतन 1100 घंटे की पढ़ाई होती हो रही है। आगे हर दिन छह घंटे और एक सत्र में न्यूनतम 1200 घंटे की पढ़ाई करने की तैयारी की जा रही है।

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Posted By: Inextlive