16 और 17 जून वे तारीख हैं जो उत्तराखंड ही नहीं पूरा देश कभी नहीं भूल सकता। दुनिया की सबसे बड़ी जल प्रलय में से एक केदारनाथ में कुल कितने लोगों की मौत हुई थी यह कभी पता नहीं चल पाया। आपदा के कई वर्षों बाद तक भी केदारनाथ के ऊपरी हिस्सों में लोगों के कंकाल मिलते रहे। किसी ने अपनी जान गंवाई तो किसी ने अपने सगे-संबंधी परिवार खो दिये। यह एक अप्रत्याशित घटना थी। आमतौर पर केदारनाथ जैसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बारिश नहीं होती। जब मौसम बिगड़ता है तो बर्फ ही गिरती है या फिर बहुत हल्की बारिश होती है। लेकिन 2013 के जून महीने में लगातार तीन दिन तक केदारनाथ सहित पूरे उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश होती रही और उसके बाद त्रासदी का जो रूप सामने आया उसकी कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।

देहरादून ब्यूरो। केदारनाथ आपदा में मौतें दो तरह से हुई। अचानक तेज पानी के बहाव में हजारों लोगों को संभलने का मौका नहीं मिला और वे पानी में बह गये। कुल कितने बहे हिसाब नहीं लगाया जा सका। मीडिया रिपोर्ट में 30 हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने की खबरें आई। अचानक आई जल प्रलय से बचने के लिए बड़ी संख्या में लोग ऊपर पहाड़ों के तरफ चढऩे लगे। वे सुरक्षित जगह की तलाश में ऊपर चढ़ते रहे और आखिरकार भूख, प्यास, थकान, ठंड या फिर ऑक्सीजन की कमी के कारण उनकी मौत हो गई। केदारनाथ, रामबाड़ा और गौरीकुंड के ऊपर की पहाडिय़ों में सैकड़ों लोगों के शव मिले और इन शवों के मिलने के सिलसिला बाद के सालों तक भी चलता है। हालांकि बाद में वे सिर्फ कंकाल थे, जिनकी पहचान नहीं हो सकती थी। औपचारिका के लिए डीएनए टेस्ट की बात कही गई, लेकिन इस तरह के जांच से किसी शव या कंकाल की पहचान हुई हो, ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई।

क्या हुआ था अचानक
केदारनाथ में यह सब क्यों हुआ। इस पर बाद के दिनों में कई शोध हुए। उत्तराखंड फॉरेस्ट्री यूनिवर्सिटी के जियोलॉजिस्ट डॉ। एसपी सती कहते हैं कि केदारनाथ ही नहीं पूरे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर तक में उस दौरान तबाही हुई थी। केदारनाथ ही तबाही ज्यादा बड़ी थी, इसलिए बाकी जगहों की तबाही को ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। वे कहते हैं कि इन हिमालयी राज्यों में मिड जून में एक मजबूत वेस्टर्न डिस्टर्बेंस एक्टिव था। इससे इन सभी राज्यों में अच्छी बारिश हो रही थी। इसी दौरान दक्षिण-पश्चिमी मानसून तेजी से आगे बढ़ता हुआ, निर्धारित समय से पहले इस क्षेत्र में पहुंच गया था। वेस्टर्न डिस्टर्बेंस और मॉनसून की टकराहट इस जल प्रलय का कारण था।

कब क्या हुआ
15 जून : राज्यभर में बारिश शुरू हुई
16 जून : शाम को चौराबाड़ी ताल टूटने से मंदाकिनी में बाढ़ आने से केदारनाथ में मलबा भर गया। रामबाड़ा पूरी तरह तहस-नहस हो गया।
17 जून : सुबह एक बार फिर चौराबाड़ी ताल से पहले से ज्यादा पानी और मलबा आया। केदारनाथ पूरी तरह तबाह हो गया। पूरी मंदाकिनी घाटी में तबाही हुई। हजारों यात्री मारे गए।
18 जून : पहली बार केदारनाथ और घाटी में तबाही की खबरें सामने आई।
19 जून : राहत और बचाव के कार्य शुरू किये गये।

आपदा में नुकसान
4027 लोगों की मौत
1853 पूर्ण क्षतिग्रस्त पक्के मकान
361 पूर्ण क्षतिग्रस्त कच्चे मकान
2349 बुरी तरह क्षतिग्रस्त पक्के भवन
340 बुरी तरह से टूटे कच्चे मकान
9808 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त पक्के मकान
1656 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कच्चे मकान
2162 सड़कें क्षतिग्रस्त
86 पुल (मोटर मार्ग व पैदल) टूटे
172 पुलिया ध्वस्त
3484 पेयजल लाइनें ध्वस्त
4515 गांव मेंबिजली आपूर्ति बाधित
13,844.34 करोड़ रुपये की परिसंपत्तियों को नुकसान

Posted By: Inextlive