शहर के बीचोंबीच स्थित दून तहसील। जहां मौजूद हैं कई फ्लोरयुक्त बिल्डिंग में आधे दर्जन से ज्यादा सरकारी दफ्तर। जाहिर है कि यहां हर रोज सरकारी कामों के लिए सैकड़ों लोगों की आवाजाही लगी रहती है। लेकिन यहां मौजूद एक मात्र लिफ्ट सरकारी कार्मिकों के अलावा आम लोगों के लिए नहीं है। यहां तक लिफ्ट की सैटिंग इस कदर की गई है कि कारणवश अपने कार्य के लिए आ गया कोई व्यक्ति लिफ्ट का यूज करे तो उनको सीधे फोर्थ फ्लोर में ही जाना पडग़ा। यही नहीं फस्र्ट फ्लोर पर तो स्थानीय व्यापारियों ने लिफ्ट की घेराबंदी ही कर दी है। जिससे लिफ्ट के डोर से न कोई एंट्री एक्जिट कर सकता है और नहीं एंट्री।

देहरादून ब्यूरो। तहसील चौक के पास स्थित है राजीव गांधी कॉम्पलैक्स में तहसील। यहां पहला फ्लोर स्थानीय दुकानदारों के लिए अलॉट किया गया है। उसके बाद बाकी ऊपरी मंजिल में कई सरकारी ऑफिस हैं। जिनमें जिला उपभोक्ता, जिला आपूर्ति, तहसील, टाउन प्लानर, रेरा मुख्यालय समेत कई ऑफिस हैं। इन सरकारी कार्यालयों से रोजाना सैकड़ों लोगों को ताल्लुक रहा करता है। लेकिन, चार मंजिल वाली बिल्डिंग में चढऩे के लिए लोगों को सीढिय़ां का सहारा लेना पड़ता है। सबसे ज्यादा परेशानियां बुजुर्गों, दिव्यांगजनों और बीमार लोगों को झेलनी पड़ती है। जबकि, इससे पहले कई पर तत्कालीन जिलाधिकारियों ने निरीक्षण किया और लिफ्ट को सही करने के निर्देश दिए। इसके बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। वर्तमान में बेसमेंट से लेकर सबसे ऊपरी फ्लोर पर ही लिफ्ट चलती है। ऐसे में लोगों को लिफ्ट से मदद नहीं मिल पाती। जो लिफ्ट का सहारा लेते हैं, उन्हें वापस पैदल चलकर दूसरे फ्लोर पर आना पड़ता है। फिलहाल, इस मसले पर तहसील के कोई भी अधिकारी बोलने को तैयार नहीं हैं। यहां तक कि कोई भी विभाग इसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।

खालिद हुसैन की कहानी भी सुनिए
खालिद हुसैन पिछले 4-5 महीनों से तहसील के चक्कर काट रहे हैं। उनका काम सरकारी विभाग से है। अब तक काम नहीं हो पा रहा है। जिसके बदले में एक नहीं, कई बार उन्होंने तहसील के चक्कर काट दिए हैं। वे पैरों से चल नहीं सकते। व्हील चेयर का उन्हें सहारा लेना पड़ता है। यकीनन उनको लिफ्ट का यूज करना पड़ता है। लेकिन, खालिद को व्हील चेयर से ही चौथे फ्लोर पर जाना पड़ता है। उसके बाद उनके दो भाई उन्हें तीसरे फ्लोर पर लाते हैं। ये सिलसिला चार-पांच महीनों से अनवरत जारी है। खालिद का कहना है कि यह लिफ्ट किसी काम की नहीं। दिव्यांगजनों के लिए लिफ्ट का होना या न होना, सब बराबर है। प्रशासन को सीनियर सिटीजन या दिव्यांगजनों के बारे में भी सोचना चाहिए।
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वर्जन::
तीसरे फ्लोर पर स्थित सरकारी दफ्तर में मेरा काम है। पिछले कई दिनों से मैने लगातार तीन चक्कर काट दिए हैं। सीनियर सिटीजन होने के नाते सरकारी ऑफिस जाने में आधे घंटे से ज्यादा का वक्त लग जाता है। सीढिय़ां चढऩा किसी मुसीबत से कम नहीं है।
-बिमला देवी मित्तल, झंडा चौक

मेरा पेंशन से संबंधित काम तहसील में है। कई चक्कर लगा दिए। लेकिन, फाइलों में काम नहीं हो पाया है। नीचे से ऊपरी फ्लोर तक ऑफिस में जाने के लिए कई फेरे लगाने पड़ते हैं। जिससे खासी परेशानियां आती हैं और चक्कर में आने लगता है।
-सुषमा, झंडा चौक।

Posted By: Inextlive