नल सूखे, सड़कों पर पानी
देहरादून ब्यूरो।
एक खास बात यह है कि सिटी में जहां भी विकास कार्य शुरू किये जाते हैं, वहां सबसे पहले रोड की खुदाई की जाती है और रोड खोदने के साथ ही पाइप लाइन टूट जाती ह। ये पुरानी पाइप लाइन एक बार टूटने के साथ ही परमानेंट लीक होनी शुरू हो जाती हैं और फिर बार-बार रिपेयर करने के बाद भी कुछ दिन में फिर से लीक होने लगती ह।
महीनों से बह रहा पानी
देहराखास में महंत इंद्रेश हॉस्पिटल के पास पिछले कई महीनों से पाइप लाइन लीक हो रही है। सुबह और शाम को जैसे ही पानी की सप्लाई दी जाती है, यहां प्रति मिनट दो लीटर से ज्यादा पानी लीक होना शुरू हो जाता है। थोड़ी ही देर में यह पानी सड़क पर भर जाता है और सड़क तालाब बन जाती है। इससे आने जाने वालों को तो परेशानी होती है, यहां सड़क भी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। उधर आराघर चौक पर भी कई महीनों तक पानी बहता रहा। यहां स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पानी की लाइन डाली गई थी। इसके बाद चौक पर लीकेज होनी लगी। कई बार रोड खोद कर लाइन ठीक की गई, लेकिन कुछ दिन बाद फिर लीक होने लगी। यह सिलसिला अब भी जारी है।
ईसी रोड पर कई जगह लीकेज
पानी लीकेज के मामले में सबसे बुरे हाल ईसी रोड के ह। यहां स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सड़क कई बार खोदी जा चुकी है, नतीजा यह है कि आराघर चौक से लेकर सर्वे चौक तक दर्जनभर जगहों पर पाइल लाइन लीक हो रही है। वाटर सप्लाई के दौरान शाम और सुबह यहां पानी के फव्वारे देखे जा सकते ह।
दून में लीकेज की सबसे बड़ी वजह पुरानी पाइप लाइन बताई जाती है। सड़कें खोदे जाने के दौरान अक्सर ये पुरानी लाइनें टूट जाती हैं और एक बार टूट जाने के बाद कई प्रयास करने के बाद भी लीकेज ठीक नहीं होती। इस तरह से हर रोज हजारों लीटर पानी सड़कों पर बह जाता है और कई घरों के नलों तक पानी नहीं पहुंच पाता है। क्या कहते हैं लोग
मुझे अक्सर सुबह घर से निकलना पड़ता है। सुबह किसी भी सड़क पर चले जाओं, कहीं न कहीं पानी लीक होता नजर आयेगा। कुछ जगहों पर मामूली लीकेज होती है तो कुछ जगहों पर इतना पानी बहता है कि तालाब बन जाता है। इससे घरेां तक पानी नहीं पहुंचता।
अशोक पुंडीर
पाइप लाइन लीकेज होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन नई बात ये है कि जब से शहर को स्मार्ट बनाने का काम शुरू हुआ है, तब से यह ज्यादा हो गई है। सुबह और शाम को कहीं भी चले जाओ, जगह-जगह पाइप लाइन लीक होती नजर आ जाएगी। एक तरफ पानी की कमी हो रही है, दूसरी तरफ बर्बादी नहीं रोक पा रहे ह।
गिरधर पंडित
मनोज कुंवर देहरादून में जितना पानी चाहिए, उतना उपलब्ध है नहीं। बेशक भरपूर वाटर सप्लाई के कितने भी दावे किये जाते रहें। ऊपर से पाइप लाइनों की लीकेज रही-सही कसर भी पूरी कर रही है। लीकेज से एक तरफ घरों तक पानी नहीं पहुंचता, दूसरी तरफ सड़कें भी खराब होती हैं और आने-जाने वालों को परेशानी का सामना भी करना पड़ता है।
शैलेन्द्र परमार