जिंदगी में पेड़-पौधों की कितनी अहमियत है यह लोगों को कोविड महामारी के दौरान पता चला लेकिन सरकार और अफसर अभी भी नींद में है। दून समेत पूरे राज्य में रोजाना हजारों पेड़ों का सफाया हो रहा है। इस पर किसी का ध्यान नहीं है।

- सड़क किनारे कील ठोक कर पहुंचाया जा रहा पेड़ों को बड़ा नुकसान
- लोगों ने पेड़ों की सेफ्टी के लिए अफसरों की

देहरादून (ब्यूरो): यही नहीं सड़क किनारे छांव दे रहे पेड़ों पर भी कीलें ठोक कर विज्ञापनों के बैनर, पोस्टर और बोर्ड लगाए जा रहे हैं। कीलें ठोकने से पेड़ सूखकर धीरे-धीरे नष्ट हो रहे हैं, लेकिन इस पर न तो सरकार का ध्यान है और न ही अफसरों का ही। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से सोशल प्लेटफार्म पर कराए गए पेड़ों की सेफ्टी को लेकर कराए गए पोल में लोगों ने पेड़ों को रहे बड़े नुकसान के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

पेड़ों की सेफ्टी को बने स्पष्ट नीति
सर्वे में लोगों ने कहा कि सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च तो करती है, लेकिन पेड़ों को बचाने के लिए कोई स्पष्ट नीति न होने से एक चौथाई पेड़ भी नहीं बच पाते हैं, जिस तरह से उत्साह के साथ पेड़ों को लगाने की होड़ मची रहती है उसके अनुरूप पेड़ों की सेफ्टी के प्रयास नहीं किए जाते। नतीजातन पेड़ या तो सूख जाते हैं या फिर काट लिए जाते हैं।

मॉनिटरिंग को बने कमेटी
पर्यावरण से जुड़े लोगों का कहना है कि पेड़ों की सुरक्षा के लिए जिला स्तर पर ऑडिट कमेटी बनाई जानी चाहिए। कमेटी को पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कार्रवाई के अधिकार हों। साथ ही कमेटी पब्लिक के बीच जाकर पब्लिक अवेयनेस का काम भी करे। तभी पेड़ों का नुकसान होने से बचाया जा सकता है।

नुकसान पहुंचाने वालों पर हो सख्त कार्रवाई
लोगों का कहना है कि पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वालों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। अधिकांश पेड़ विकास की भेंट चढ़ जाते हैं। शहर के अन्य इलाकों की तरह सहस्रधारा रोड पर अब हरियाला गायब हो गई है। यहां सड़क चौड़ीकरण के लिए सड़क से 2000 से अधिक पेड़ों को काटा गया है, जबकि कुछ पेड़ों को अन्यत्र ट्रांसप्लांट किया गया है। शहर की कई मुख्य सड़कों पर लोग विज्ञापनों के लिए पेड़ों पर कीलें ठोंक रहे हैं, जिससे पेड़ों को भारी नुकसान पहुंच रहा है।

पेड़ों से हटाए जाएं विज्ञापन के पोस्टर-बैनर
सर्वे में पार्टिसिपेट करने वाले 60 प्रसेंट लोगों ने हर साल गायब हो रही हरियाली के लिए सरकारी की नीति को जिम्मेदार ठहराया है। जबकि 20 प्रसेंट ने वन विभाग और 10 प्रसेंट ने नगर निगम को। 100 प्रसेंट लोगों ने कहा कि कील ठोक कर हरे पेड़ों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। पेड़ों की सेफ्टी के लिए सरकारी प्रयास से 17 प्रसेंट लोग ही खुश हैं, जबकि 67 प्रसेंट लोगों ने असंतुष्टि जाहिर की है। सड़क किनारे कील ठोक कर लगाए गए विज्ञापनों को पेड़ों के लिए खतरा बताते हुए 100 प्रसेंट हटाने की बात कही है।

ऐसी रही दूनाइट््स की राय
दून शहर में हर साल हरियाली गायब हो रही है। इसके लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं।
सरकार 60 प्रतिशत
वन विभाग 20
नगर निगम 10
सरकारी निर्माण 10

कील ठोक कर क्या पेड़ों को बड़े स्तर पर नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
हां 100
नहीं
थोड़ा बहुत
इनमें से कोई नहीं

पेड़ों की सेफ्टी के लिए सरकारी स्तर पर हो रही कार्रवाई से आप कितने संस्तुष्ट हैं।
हां 17
नहीं 67
थोड़ा बहुत 17
इनमें से कोई नहीं

सड़क किनारे पेड़ों पर कील ठोक कर लगाए गए बैनर-पोस्टर हटने चाहिए या नहीं।
हां 100
नहीं
थोड़ा बहुत
इनमें से कोई नहीं

पेड़-पौधों की सेफ्टी को बने सख्त कानून
पेड़-पौधों से ही पर्यावरण स्वच्छ रह सकता है। पेड़-पौधे कम होने से शहरों में प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। सरकारी स्तर पर पेड़ों को सुरक्षा और पेड़ों को कटने से बचाने के लिए तमाम स्तरों पर किए जा रहे प्रयास नाकाफी है। वन प्रेमियों ने स्वच्छ पर्यावरण और पेड़-पौधों की सुरक्षा के लिए सख्त से सख्त कानून बनाने की मांग की है।

पब्लिक कमेंट्स
पेड़ हमारी जिंदगी का अभिन्न हिस्सा है। पहले तो शहर में पेड़ कम हैं। ऊपर से कीलें ठोंक कर पेड़ों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाना गंभीर अपराध है, जिस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
उम्मेद सिंह बोरा

एक ओर सरकारी स्तर पर जोर-शोर से वृक्षारोपण कार्यक्रम किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर पेड़ों की सेफ्ती की को लेकर घोर लापरवाही बरती जा रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।
अनुराग कुकरेती

पेड़ों को नुकसान पहुंचाना जीवन को नुकसान पहुंचाने के बराबर है। जब तक पेड़-पौधों के महत्व के बारे में पता नहीं है, तब तक समझ में नहीं आएगा। इसके लिए पब्लिक अवेयरनेस जरूरी है।
सोबन सिंह पंवार

सड़क किनारे हो, कालोनी में हो या फिर जंगल में। पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, तभी पेड़-पौधे जिंदा बच पाएंगे और पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा।
बीएस नेगी

किस स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है, उस पर एक्शन लिया जाएगा। पेड़ों को बचाने के लिए एक्ट से भी बाहर जाना पड़े, तो उससे भी पीछे नहीं हटा जाएगा। हर हाल में पेड़ों को बचाने के प्रयास किए जाएंगे और पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सोनिका, डीएम, देहरादून
dehradun@inext.co.in

Posted By: Inextlive