Dehradun News: सर्वे चौक पर लगाई गई सर्वेयर नैन सिंह व मैथेमेटिशियन राधानाथ के स्टैच्यू
देहरादून(ब्यूरो) पंडित नैन सिंह का 21 अक्टूबर 1830 को जोहर के मिलम गांव में हुआ था। 24 जनवरी 1802 को उनकी मृत्यु हो गई। कुमाऊं क्षेत्र की घाटी पंडित नैन सिंह को 1863 में तिब्बत मंगोलिया और सेंट्रल एशिया के खोजपूर्ण सर्वेक्षण में दो साल के प्रशिक्षण के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा चुना गया था। बताया जाता है कि उन्होंने मोती की माला से पूरा लेह-लदाख की दूरी नाप डाली थी। उन्होंने करीब 1200 मील पैदल यात्रा की थी। उनकी आखिरी और सबसे बड़ी यात्रा लद्दाख के लेह से ल्हासा होते हुए असम तक की थी। उन्हें भौगोलिक खोजकर्ताओं की सूची में बहुत ऊंचे स्थान पर रखा गया था। उन्हें भारतीय साम्राज्य के साथी के रूप में नियुक्त किया गया था और उन्हें दो बार सोने की घड़ी से सम्मानित किया गया था।
एवरेस्ट की ऊंचाई नाप ली थी
राधानाथ सिकदर का जन्म 20 दिसंबर 1813 को कोलकाता में हुआ था। 16 मार्च 1862 को सेवानिवृत्त हुए और 17 मई 1870 को गोंदलपारा, हुगली में उनकी मृत्यु हुई। राधानाथ को भारतीय गणितज्ञ के तौर पर जाना जाता है। उनके नाम भी कई रिकॉर्ड हैं। उनके बारे में बताया जाता है कि उन्होंने एवरेस्ट की चोटीं की तब सटीक गणना की थी, जब कोई वहां पहुंचा ही नहीं था। वह भारतीय सर्वेक्षण विभाग की ग्रेट ट्रिग्नोमेट्रिकल सर्वेक्षण शाखा में कंप्यूटर के रूप में नियुक्त किए गए थे। वह डाटा लेकर कैल्कुलेशन करते थे और कोंण के जरिए हाइट की गणना करते थे। जब जॉर्ज एवरेस्ट ने अपना कार्यालय मसूरी में स्थानांतरित कर दिया था तब वह कोलकाता से चले गए और मसूरी में एसजी के कार्यालय में शामिल हो गए। 1833 में एवरेस्ट के साथ-साथ उन्होंने मैदान में निरीक्षण किया। उन्होंने यमुना घाटी के साथ पीटन, एवरेस्ट क्षेत्र में और ग्रेटार्क पर कई काम किए।
सिकदर ने ऐसे समय में माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई की गणना की, जब कोई न मानचित्र और कोई अन्य साधन नही थे। कोई वहां पहुंचा भी नहीं था। उन्होंने एवरेस्ट सहित हिमालय की चोटियों की ट्रिग्नोमेट्रिकल विधि से डाटा लेकर सटीक गणना की, जो आज तक चली आ रही है। बताया जाता है कि उन्होंने सर्वेक्षण मैनुअल की तैयारी में भी विभाग की सहायता की।
मनोज की जीवंत की स्टैच्यू
मनोज श्रीवास्तव मंझे हुए आर्टिस्ट हैं। वह कई महान हस्तियों के स्टैच्यू बना चुके हैं। परेड ग्राउंड में चंद्रयान से लेकर तमाम मूर्तियों को उन्होंने आकार दिया है। सर्वे चौक पर पंडित नैन सिंह और राधानाथ सिकदर के स्टैच्यू भी उन्होंने तैयार किया है। उनकी कलाकारी देख लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।