आश्रम में हो व्यवस्था दुरुस्त, कर्मचारियों पर रखें कड़ी नजर
देहरादून (ब्यूरो)। बता दें कि बीते दिनों बाल वनिता आश्रम में नाबालिग दुष्कर्म का मामला प्रकाश में आया था। जिसके बाद बालिका 5 माह की गर्भवती हो गई थी। आश्रम में बालिका से दुष्कर्म का मामला सामने आने के बाद महिला आयोग की अध्यक्ष विजय बड़थ्वाल ने बुधवार को आश्रम पहुंची। उन्होंने आश्रम के प्रधान सुधीर गुलाटी व अधिवक्ता धीरेन्द्र मोहन सचदेव से सम्पर्क किया। उन्होंने बताया कि वह आश्रम का कार्यभार देखा जाता है। आश्रम की जानकारी देते हुए बताया कि आश्रम में 26 बालिकायें और 23 बालक रहते हैं, जिनकी उम्र 5 से 19 वर्ष है।
हर सप्ताह होती है जांच
आश्रम प्रबंधक ने बताया कि सभी बालक बालिकाओं की जांच के लिए कोरोनेशन हॉस्पिटल की डॉक्टर स्वयं आश्रम में आते हैं। अगर कोई अचानक बीमार होता है तो आश्रम के कर्मचारी उसे स्वयं हॉस्पिटल दिखाने ले जाते हैं। बताया कि पीडि़त बालिका ने 10 अक्टूबर को स्वास्थ्य खराब होने के कारण अर्थात पेट में दर्द होने के की परेशानी बताई। उसे कोरोनेशन हॉस्पिटल में जांच कराई। 16 अक्टूबर को पीडि़ता ने पुन: पेट में दर्द बताया। डॉक्टर उसकी जांच के लिए आश्रम पहुंचे। 18 अक्टूबर को बालिका का सीटी-स्कैन करवाया तो बालिका पांच माह की गर्भवती होने की जानकारी मिली। आश्रम में निवासरत समस्त बालक-बालिकाओं को शिक्षा ग्रहण करने हेतु विद्यालय भेजा जाता है।
आश्रम प्रबंधक ने बताया कि बालक बालिका जब इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर लेते हैं। तो आश्रम से चले जाते हैं। प्रत्येक बालक व बालिका एक साथ एक ही हॉल में भोजन ग्रहण करते हैं। आश्रम में ट्यूटर भी आता है और उन्हें अन्य गतिविधियों में भी प्रतिभाग कराया जाता है। अध्यक्ष ने ठीक से रहने की दी सलाह
आश्रम में उपस्थित बालिकाओं से बातचीत की और इस प्रकरण के संबंध में भी पूछा गया। बालिकाओं द्वारा प्रकरण के सम्बन्ध में कोई जानकारी न होने के बारे में बताया उन्होंने बालिकाओं को यह समझाया कि आश्रम में बालिकायें ठीक प्रकार से रहें। भविष्य में इस तरह की कोई भी घटना घटित न हो। अध्यक्ष ने आश्रम की व्यवस्थाओं का मुआयना किया गया। जिसमें समस्त व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाये जाने एवं उनके सुधार करने हेतु निर्देश दिये गए।
यह हो व्यवस्था
-बालक व बालिकाओं को भोजन ग्रहण की व्यवस्था अलग-अलग करायी जाये।
-उनके रहने व बैठने की व्यवस्था भी अलग करायी जाये।
-आश्रम में एक महिला काउंसलर रखने की व्यवस्था की जाये।
-बालिकाओं की काउंसिलिंग हो सके।
-बालिका/बालकों/आश्रम के वार्ड ब्वॉय एवं समस्त कर्मचारियों पर सतर्क दृष्टि रखी जाये।