सोलर एनर्जी को पावर प्रोडक्शन का सबसे आसान और किफायती विकल्प माना जा रहा है. इसमें हाइड्रो प्रोजेक्ट के मुकाबले काफी कम लागत आती है.

- सिंचाई विभाग खाली और बेकार पड़ी जमीनों पर करेगा सोलर पावर प्रोडक्शन

देहरादून (ब्यूरो): छोटे-बड़े सोलर पैनल प्लांट लगाकर सरकार बड़े स्तर पर बिजली उत्पादन करने की योजना बना रही है। बंजर और गैर उपजाऊ पड़ी सरकारी भूमि पर सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित किए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है।

डैम एरियाज में लगेंगे प्रोजेक्ट्स
अनुमान है कि सिंचाई विभाग के पास करीब 1000 एकड़ भूमि खाली और बंजर पड़ी हुई है। इस भूमि पर सोलर एनर्जी प्लांट्स लगाने की योजना बनाई जा रही है। एशिया के सबसे बड़े टिहरी डैम की झील में भी सौर ऊर्जा उत्पादन की तैयारी है। सिंचाई विभाग जल्द सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि चिन्हित करने की कार्रवाई का अमलीजामा पहनाएगा। इसके लिए प्रोजेक्ट्स की डीपीआर तैयार की जा रही है।

पीपीपी मोड में लगेंगे प्रोजेक्ट
सिंचाई विभाग जिस एक हजार एकड़ बंजर भूमि पर सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाने की तैयारी कर रहा है उस पर 10 से 12 अरब खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह राशि बहुत अधिक है। इसलिए सिंचाई विभाग सोलर पैनल प्लांट पीपीपी मोड में लगाएगा। इसके लिए कंपनियों से टेंडर आमंत्रित किए जाएंगे।

25 साल के लिए लीज पर जमीन
सोलर पावर प्लांट्स को जमीन पीपीपी मोड में देने के लिए 25 साल के लिए लीज पर कंपनियों को देने की तैयारी चल रही है। इसके लिए आवश्यक नियम और शर्तें बनाई जा रही है। प्रोजेक्ट पर पैसा कंपनियां ही लगाएंगी। सरकार को इसका कुछ हिस्सा रॉयल्टी के रूप में मिलेगा। योजना पर तेजी से काम चल रहा है। यदि सब कुछ योजनागत तरीके से चला तो इस वित्तीय वर्ष के आखिरी तक योजना पर काम शुरू हो सकता है।

केंद्र सरकार करेगी सहयोग
राज्य सरकार सौर पावर प्लांट्स लगाने के लिए केंद्र सरकार से सहयोग मांग रही है। पानी पर तैरती सौर ऊर्जा के संकल्प को साकार करने के लिए कारगर रणनीति बनाए जाने के लिए राज्य सरकार काम कर रही है। साथ ही गुजरात की तरह नहरों के किनारे सोलर पैनल स्थापित करके राजस्व को बढ़ाए जाने की नीति बनाई जा रही है।

25 करोड़ किया बिजली का भुगतान
सिंचाई विभाग ने ट्यूबवेलों के पेंडिंग पड़े करीब 25 करोड़ रुपये का ऊर्जा निगम को भुगतान किया है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ट्यूबवेलों को भी सौर ऊर्जा से जोडऩे के लिए प्रोजेक्ट्स बना रही है। इससे विभाग को राजस्व ही नहीं मिलेगा, बल्कि करोड़ों रुपये की बचत भी होगी। बिजली विभाग को बिल के रुप में दिए जाने वाले बिजली बिल नहीं देना पड़ेगा। हाल ही विभाग ने ट्यूबवेलों के बिलों का 25 करोड़ का भुगतान किया है। अभी भी करीब 50 लाख के करीब बिलों का पेंडिंग चल रहा है।

सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन की दिशा में सरकार के अनुरूप कदम आगे बढाए जा रहे हैं। सिंचाई विभाग की खाली और बंजर जमीन के साथ ही जलाशयों के ऊपर सोलर पावर प्लांट्स लगाने के लिए प्रोजेक्ट्स बनाए जा रहे हैं।
दिनेश चंद्र, प्रमुख अभियंता, सिंचाई विभाग
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Posted By: Inextlive