अब इसको राजधानी दून के कंक्रीट के जंगल में तब्दील होना कहें या फिर लोगों का पर्यावरण के साथ छेड़छाड़। लेकिन यह सच है कि पहले की तुलना में अब लगातार न केवल दून में सांप दिखाई देने के मामले सामने आ रहे हैं। बल्कि अस्पतालों में भी सांप के काटने के केस आ रहे हैं। अकेले दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बरसात के इस सीजन में करीब 20 से 25 तक मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि सांप के काटने के मामले में करीब 10 परसेंट ही जहरीले होते हैं। ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है।

देहरादून, ब्यूरो: कॉल सेंटर को मिली बारह सौ से ज्यादा शिकायतें। शायद ही कोई हो, जिसकी सांप का नाम सुनते ही रूह न कांप जाए। जाहिर है कि दून में भी अब सांप दिखने व सांप के काटने के मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है। इसके पीछे जानकार मानते हैं कि अब पब्लिक अवेयर हो चुकी है। सांप के दिखने या फिर काटने के मामले में लोग अपनी अलर्टनेस दिखा रहे हैं। लेकिन, इधर दून में सांप के ज्यादा दिखाई देने के मामले में आंकड़े बताते हैं कि गत चार सालों में 1214 शिकायतें सामने आई हैं। 108 इमरजेंसी सेवा के कॉल सेंटर दून से तमाम लोगों के 1214 फोन कॉल्स रिसीव किए गए। जिसके बाद उसकी जानकारी संंबंधित विभाग को ट्रांसफर कर दी गई।

हॉस्पिटलल पहुंच रहे कई मामले
यह तो केवल घरों के आस-पास, गली मोहल्लों में सांप दिखाई देने की मामले हैं। सांप के काटने के मामले में भी अस्पताल पहुंच रहे हैं। दून मेडिकल कॉलेज के ईएमओ डॉ। एचएस भाटिया के मुताबिक बारिश के सीजन में अस्पताल में करीब 20 से 25 मामले केवल सांप काटने के आ रहे हैं। डॉ। भाटिया के मुताबिक जितने भी सांप के काटने के मामले सामने आ रहे हैं। उनमें 90 परसेंट मामले जहरीले सांप के काटने के नहीं है, जबकि, 10 परसेंट मामले जहरीले सांप के काटने के शामिल होते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि लोगों में सांप के काटने की दहशत ज्यादा रहती है। ऐसे में लोग डरे व सहमे होने के कारण ज्यादा घबरा जाते हैं। डॉ। भाटिया बताते हैं कि सांप के काटने के मामले में दून अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में एंटी वेनम की उपलब्धता है। जिससे लोगों को घबराने की जरूरत नहीं हैं। लेकिन, सांप के काटने पर तत्काल हॉस्पिटल पहुंचने की आवश्यकता होती है।

36 में से 8 स्पिशीज जहरीली
डब्ल्यूआईआई के साइंटिस्ट अभिजीत दास कहते हैं कि उत्तराखंड में सांपों की 36 स्पिशीज पाई जाती हैं। लेकिन, इनमें केवल 8 स्पिशीज ही ऐसी हैं, जो जहरीली हैं। जिसकी लोगों को कम जानकारी है। इसके लिए पब्लिक अवेयरनेस की आवश्यकता है। जिससे लोगों में हर सांप के जहरीले होने का हो-हल्ला न मच सके। विशेषज्ञों के अनुसार लोगों में जहरीले सांपों की पहचान न होने के कारण लोगों में डर व भय का माहौल बना हुआ है।

सोशल मीडिया में ज्यादा हो-हल्ला
सोशल मीडिया के दौर में सांपों के दिखाई देने पर ज्यादा हो-हल्ला मच जाता है। फोटो वायरल हो जाती है और लोगों में दहशत हो जाती है। हालांकि, कई बार ये बेहतर भी साबित हो रहा है। फॉरेस्ट की टीम मौके पर पहुंच जाती है और रेस्क्यू कर उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाता है। जिससे सांप बच जाते हैं। लेकिन, डर व भय का माहौल भी पैदा हो जाता है।

दून में मिलने वाली स्नेक स्पेसीज::
-रेट स्नेक
-चैकर्ड
-ट्रिंकेट
-कॉमन क्रैथ
-किंग कोबरा
-कोबरा
-पायथन
-रॉक पायथन
-रसैल वाइपर

फैक्ट फाइल
-राज्य में 36 में से केवल 8 स्पिशीज ही जहरीले
-सांप के काटने पर अस्पताल पहुंचने वाले केस में 90 परसेंट जहरीली नहीं
-कांटा चुभ जाने के बाद लोग समझ रहे हैं सांप का काटना

वर्जन
हां, सांप के काटने के मामले जरूर सामने आ रहे हैं। जिसके इलाज के लिए एंटी वेनम पर्याप्त मात्रा में अस्पताल में मौजूद है। लेकिन, घबराने की जरूरत है। हर सांप जहरीला नहीं होता। फिलहाल, दून में 10 परसेंट मामले ही जहरीले सांप के काटने के दिखाई दिए हैं।
डॉ। एचएस भाटिया, ईएमओ, दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल

Posted By: Inextlive