स्मार्ट सिटी का स्मार्ट वर्क, लगाते ही टूट रही टाइल्स
देहरादून ब्यूरो। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्मार्ट सिटी के अंतर्गत कैसे काम हो रहे हैं। केवल नैनी बैक्री फुटपाथ ही नहीं, बल्कि शहर में स्मार्ट सिटी में कराए गए अधिकांश कार्य इसी तरह के हैं। परेड ग्राउंड की जो हालत स्मार्ट सिटी के नाम पर की गई वह किसी से छिपी नहीं है। परेड ग्राउंड के कायाकल्प के जो सपने दिखाए गए वह दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं। केवल दिख रहा है वह है भारी भरकम खर्च का पिटारा।
1400 करोड़ हो चुके हैं खर्च
स्मार्ट सिटी के लिए देहरादून शहर में विभिन्न कार्यों पर करीब 1400 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन धरातल पर जो हकीकत है वह इस भारी भरकम रकम के सामने कहीं दिख नहीं है। स्मार्ट सिटी के नाम पर अवार्ड ले लिए गए हैं। लेकिन आज तक किसी के समझ में नहीं आ रहा है कि जब शहर स्मार्ट ही नहीं हुआ, तो अवार्ड कैसा? पूरा शहर टूटी-फूटी नालियों से परेशान है। सड़कों पर जगह-जगह गड्ढ़े हैं। जहां-तहां कूड़े के ढेर लगे हैं। सड़कों पर लगाए गए वाटर फिल्टर नाम मात्र हैं। अधिकांश वाटर फिल्टर बंद हो गए हैं। सीवरेज और पेयजल सिस्टम का भी बुरा हाल है।
ये काम पड़े हैं आधे-अधूरे
स्मार्ट सिटी के तहत शहर के दिल कहे जाने वाले परेड ग्राउंड के कायाकल्प के दावे किए गए थे, लेकिन हकीकत सामने है। परेड ग्राउंड में फुटपाथ अधूरे हैं। सौंदर्यीकरण और हरियाली को चारों तरफ जो हरी घास लगाई थी वह चुनावी रैलियों में खराब हो गई। ड्रेनेज सिस्टम भी पूरी तरह बदहाल है। मैदान में पानी जमा हो रहा है। संतोष की बात यह है कि ग्राउंड में एक वीआईपी मंच बनकर जरूर तैयार हो गया है। लेकिन इसका आम आदमी से मतलब नहीं है।
- मल्टी यूटिलिटी डक्ट
- स्पेशल ट्रेक
- ग्राउंड के चारों ओर कारपेट ग्रास
- हरियाली को अलग-अलग तरह के पौधे
- पार्किंग स्थल
- साइकिलिंग ट्रैक
- फव्वारे नैनी बैक्री में टाइल्स टूटने का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। इस संबंध में संबंधित कंस्ट्रक्शन कंपनी से जानकारी ली जाएगी। स्मार्ट सिटी के तहत तमा कार्य अभी अंडर कंस्ट्रक्शन हंै, कार्य पूरा होने के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकेगा।
केके मिश्रा, सहायक कार्यकारी अधिकारी, देहरादून स्मार्ट सिटी